रांचीः डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार, जिन्होंने अपने अदम्य साहस और दिलेरी से कई नक्सली ऑपरेशन में सफलता हासिल की. उन्होंने अपनी बहादूरी से नक्सलियों के कई मंसूबे पर पानी फेर दिया. झारखंड जगुआर में डिप्टी कमांडेंट एसॉल्ट ग्रुप 35 को लीड करते थे.
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बीएसएफ में रहकर देश की सेवा करने वाले डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार लातेहार में नक्सलियों के कायराना हमले में मंगलवार को शहीद हो गए. बिहार के मुंगेर जिला के रहने वाले राजेश 2018 में प्रतिनियुक्ति पर झारखंड आए थे और तब से ही नक्सलियों के खिलाफ लगातार मुखर रहे. शहीद राजेश कुमार का पूरा परिवार रांची में ही अरगोड़ा में रहता है.
बीएसएफ डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार की परिवार के साथ तस्वीर
तेजतर्रार ऑफिसर राजेश कुमार
झारखंड पुलिस में नक्सल अभियान में तेजी लाने के उदेश्य से बीएसएफ और सीआरपीएफ से अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति होती है. बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार को राज्य पुलिस की नक्सल विरोधी बल एसटीएफ (झारखंड जगुआर) में 7 सितंबर 2018 को प्रतिनियुक्ति दी गई थी. एसटीएफ में एसॉल्ट ग्रुप 35 का नेतृत्व राजेश कुमार की ओर से किया जाता था.
मूल रूप से बिहार के मुंगेर जिला के लाल दरवाजा निवासी राजेश कुमार ने 12 नवंबर 2007 को बीएसएफ में योगदान दिया था. उनकी पैतृक वाहिनी पश्चिम बंगाल के कृष्णनगर की 84वीं बटालियन थी. राजेश के सहकर्मियों के अनुसार राजेश कुमार तीन साल से झारखंड जगुआर में योगदान के बाद कई सफल ऑपरेशन का हिस्सा रह चुके थे. राजेश कुमार ने पूर्व में राज्य के तमाम नक्सल प्रभावित इलाकों में होने वाले ऑपरेशन में हिस्सा लिया था.
मेडिका पहुंचे राज्य पुलिस के आला अधिकारी
राजेश कुमार को मेडिका लाए जाने के बाद डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. डिप्टी कमांडेंट के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद राज्य पुलिस के एडीजी अभियान संजय आनंद लाटकर, आईजी ऑपरेशन अमोल वी होमकर, जगुआर के एसपी शैलेंद्र वर्णवाल, अजीत पीटर डुंगडुंग, संजय आनंद किस्पोट्टा मेडिका पहुंचे थे.