रांची: राज्य सरकार ने हड़ताली मनरेगा कर्मियों के लिए एक फरमान जारी किया है जिसमें अगर 48 घंटे के भीतर कर्मी काम पर नहीं लौटते हैं तो उनकी संविदा रद्द कर दी जाएगी. उनकी जगह दूसरे लोगों को नियोजित किया जाएगा.
बता दें कि ग्रामीण विकास विभाग के अवर सचिव मिथिलेश कुमार नीरज की तरफ से सभी जिलों के उपायुक्तों और उप विकास आयुक्त को पत्र प्रेषित किया गया है. पत्र में लिखा हुआ है कि कई मनरेगा कर्मियों ने हड़ताल पर जाने के बाद भी टैब, लॉग इन आईडी और अभिलेख सरेंडर नहीं किया है. लिहाजा ऐसे लोगों पर सरकारी काम में बाधा डालने से जुड़ी धाराओं का इस्तेमाल करते हुए एफआईआर दर्ज की जाएगी.
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पूरे राज्य में करीब 5000 मनरेगा कर्मी है. मनरेगा कर्मचारी संघ ने अपनी कुछ मांगों से विभाग को अवगत कराया था लेकिन इस पर बात नहीं बनी. बाद में 27 जुलाई को मनरेगा कर्मियों ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा कर दी.
दरअसल, कोविड-19 के दौर में दूसरे राज्यों से लौटे प्रवासियों को रोजगार मुहैया कराना सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. इसके मद्देनजर मुख्यमंत्री की तरफ से बिरसा हरित ग्राम योजना, नीलांबर-पितांबर जल समृद्धि योजना और शहीद पोटो हो खेल विकास योजना का शुभारंभ किया गया था, ताकि इन योजनाओं को मनरेगा से जोड़कर प्रवासी मजदूरों को रोजगार दिया जा सके. इन योजनाओं के तहत प्रवासियों को काम भी मिलना शुरू हो गया था लेकिन 27 जुलाई को मनरेगा कर्मियों के हड़ताल पर जाने से रोजगार सृजन का काम प्रभावित हो गया.
ग्रामीण विकास विभाग की तरफ से जारी पत्र में कहा गया है कि मीडिया के माध्यम से हड़ताली मनरेगा कर्मियों से संवाद करने की भी बात कही गई थी लेकिन इसको नहीं माना गया. लिहाजा वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित कर रोजगार सृजन कराया जा रहा है.