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हेमंत सरकार के 100 दिनः जानिए हेमंत ने सौ दिनों में दिखाया दम या रघुवर के 100 दिन थे बेहतर

जब सूबे में नई सरकार बनती है तो उसकी तुलना पूर्ववर्ती सरकार से होना लाजिमी है. हेमंत सोरेन सरकार ने भी अपने सौ दिन पूरे कर लिए हैं. तो एक नजर डालते हैं मौजूदा हेमंत सरकार और पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के सौ दिन के कार्यकाल पर.

comparison between hemant government and raghubar government
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Published : Apr 7, 2020, 12:38 PM IST

रांची: हम आमतौर पर हर 5 साल में एकबार अपना कीमती मत देकर सरकार चुनते हैं. जिनसे हमारी काफी आशा होती है, कि वो हमारे हित में बेहतर काम करेगी. हम 1825 दिनों के लिए सरकार चुनते हैं. ऐसे में महज सौ दिनों का काम देखकर अपनी चुनी हुई सरकार के बारे में कहना बहुत ही जल्दबाजी होगी. क्योंकि सौ दिनों का समय सरकार के पूरे कार्यकाल का महज 5 फीसदी समय होता है. लेकिन जब बात पिछली सरकार से तुलना की हो तो दोनों सरकार के काम की रफ्तार देखकर थोड़ा ही सही अंदाजा तो लगा ही सकते हैं.

बंपर बहुमत के साथ बनी हेमंत सरकार

5 साल विरोधियों के तमाम दावों का धत्ता बताते हुए हेमंत सोरेन एकबार फिर झारखंड की गद्दी पर बैठे. भले ही सरकार गठबंधन की बनी हो, लेकिन इस गठबंधन को जनता ने अपार समर्थन दिया है. चुनाव के बाद मचे उठा-पटक ने इस गठबंधन को और अधिक मजबूत ही किया है. सत्ता पर काबिज होने के बाद इसबार हेमंत सोरेन पहले से ज्यादा मेच्योर नजर आए. ताजपोशी के साथ ही वो एक्शन में नजर आए.

पहली कैबिनेट से ही तेवर में दिखे हेमंत

हेमंत सोरेन राज्य की गद्दी संभालते ही रेस नजर आए. पहली कैबिनेट मीटिंग में ही कुछ ऐसे फैसले उन्होंने लिए, जिनसे उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि वो झारखंड की जनता की उम्मीदों को लेकर कितने संवेदनशील हैं. शपथ लेने के तीन घंटे के अंदर ही उन्होंने कैबिनेट की मीटिंग की.

  • जिसमें पत्थलगड़ी आंदोलन के दौरान ग्रामीणों पर दर्ज हुए मुकदमे वापस लेने का निर्णय लिया गया.
  • राज्य के सभी विभागों में सभी खाली पड़े पदों को जल्द भरने की बात कही गई.
  • महिलाओं और बच्चो से संबंधित मामलों मे फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन कर न्यायिक अधिकारियों के पदों के सृजन का निर्णय लिया गया.
  • अनुबंध कर्मचारियों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिका, पेंशनधारियों, छात्रवृति और पारा शिक्षकों से संबंधित लंबित भुगतान प्रखंड और पंचायतस्तर पर करने का निर्देश दिया गया.
  • राज्य के प्रतीक चिन्ह में बदलाव के लिए प्रस्ताव भी आमंत्रित किया.

हालांकि, बीच में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर काम की रफ्तार थोड़ी धीमी हुई. लेकिन इस दौरान भी हेमंत सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों से जुड़े रहे. लगातार लोगों की समस्या को सुनते रहे और उसपर कारगर कदम भी उठाए. ट्विटर के जरिए उनकी लगातार कोशिश रहती है कि सरकार की पारदर्शिता बनी रहे. वो छोटी से छोटी समस्या पर संज्ञान लेते हैं. हेमंत सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार और विभागों के बंटवारे के बाद एकबार काम ने रफ्तार पकड़ लिया है.

मेनिफेस्टो में किए वादों पर किया काम

हेमंत सरकार चुनाव से पहले किए वादों को लेकर काफी संजीदा है. जिसकी झलक सरकार के पहले बजट में देखने को मिली. बजट में कई ऐसी घोषणाएं की गई हैं जो दिखाती हैं कि राज्य के संपूर्ण विकास के प्रति हेमंत सरकार प्रतिबद्ध है.

एक नजर डालते हैं उन घोषणाओं पर

  • बजट में हेमंत सरकार ने बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है.
  • किसानों के कर्ज माफी का भी एलान किया गया.
  • सौ यूनिट फ्री बिजली देने की बात कही गई है. हालांकि इसके साथ शर्तें लागू हैं.
  • स्वास्थ्य के क्षेत्र में बेहतरी को लेकर मोहल्ला क्लिनिक खोलने के बात कही गई है.
  • पर्यटन को बढ़ावा देते हुए आगामी वित्तीय वर्ष में 50 हजार रोजगार देने की घोषणा की गई है.
  • रांची में जनजातीय थीम पार्क बनाने की घोषणा की गई है.
  • राज्य के सभी ग्रामीण चिकित्सा केंद्रों को वेलनेस सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा.
  • असाध्य रोगों के इलाज का पूरा खर्च सरकार उठाएगी.
  • आयुष्मान भारत योजना के लाभुकों की आय सीमा बढ़ा दी गई है.
  • जनजातीय यूनवर्सिटी और आवासीय स्कूल खोलने की घोषणा की गई है.
  • झारखंड ओपन यूनवर्सिटी की स्थापना की जाएगी.
  • माध्यमिक स्कूलों में डिजिटल शिक्षा की व्यवस्था की जाएगी.
  • मुख्यमंत्री विशेष छात्रवृति योजना की शुरुआत.
  • खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए हरेक पंचायत में स्टेडियम बनाने की घोषणा.
  • खिलाड़ियों की खोज के लिए विशेष अभियान चलाने की बात.
  • सिंचाई पर जोर देते हुए 300 चेक डैम बनाने की घोषणा की गई है.

ये सारी तो बजट में की गई घोषणाएं हैं. बजट में और भी कई घोषणाएं की गई हैं जो राज्य के सभी क्षेत्रों के विकास के लिए है. जो यह दर्शाती है कि मौजूदा हेमंत सरकार राज्य के लोगों के लिए कितना सोचती है. इन सबके अलावे और भी कई चीजें इन सौ दिनों में किए गए हैं. जो मौजूद सरकार के विजन को दिखलाती है.

पिछले कुछ सालों में झारखंड में पारा शिक्षकों को लेकर राजनीति होती रही है. रघुवर दास सरकार के दौरान पारा शिक्षकों का आंदोलन काफी चला, लेकिन तत्कालीन सरकार ने उनकी मांगों पर गौर नहीं किया जिसका खामियाजा बीजेपी को सत्ता से बाहर होकर उठाना पड़ा. जेएमएम ने पारा शिक्षकों से उनकी मांगों को मानने का वादा किया था. सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही सरकार ने पारा शिक्षकों के लिए नई नियमावली बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है.

दुष्कर्म और पोक्सो एक्ट के लंबित मामलों के जल्द निपटारे के लिए झारखंड में अस्थाई रूप से एक साल के लिए गठित 22 फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए जिला न्यायाधीश स्तर के 22 पदों के अस्थाई रूप से एक साल के लिए सृजन को हेमंत कैबिनेट ने स्वीकृति दी है.

हेमंत सोरेन सरकार के पिछले सौ दिनों में लिए गए फैसलों और घोषणाओं से साफ दिखता है कि सरकार उत्साह से लबरेज है. जनसरोकार से जुडे मुद्दों को लेकर हेमंत सरकार कोई कॉम्प्रोमाइज करने के मूड में नहीं है. मौजूदा कोरोना संकट में भी सरकार का पूरा महकमा लोगों का हर तरह से ध्यान रखने में जुटा हुआ है. सरकार की कार्यशैली को देखकर कह सकते हैं कि उनका जोश, हाई है. राज्य के 11वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत विकास की नई इबारत लिखेंगे.

2014 में झारखंड में बनी रघुवर सरकार

2014 में झारखंड में पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी. बीजेपी इसबार पूरी बहुमत के साथ सत्ता पर काबिज हुई. परंपराओं को तोड़ते हुए बीजेपी ने रघुवर दास को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया. इस तरह वो झारखंड के पहले गैरआदिवासी मुख्यमंत्री बने. सत्ता संभालते ही रघुवर दास झारखंड के विकास में जुट गए. अपने शुरुआती सौ दिनों में उन्होंने भी कई ऐसे फैसले लिए जिसने झारखंड के विकास का रोडमैप तैयार किया.

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आइए एक नजर डालते हैं, रघुवर सरकार के शुरुआती सौ दिनों मे लिए गए कुछ अहम फैसलों पर

  • नई रांची और ग्रेटर रांची को लेकर कवायद शुरू की. कई स्थलों का मुआयना भी किया.
  • रांची में मोनो रेल चलाने का फैसला. कैबिनेट से इस प्रस्ताव को मंजूरी भी मिली.
  • ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने के लिए सड़कों के चौड़ीकरण, सीसीटीवी लगाने का निर्णय. सरकार ने ई-रिक्शा को निबंधित करने का भी लिेया फैसला.
  • रिम्स को एम्स की तर्ज पर डेवलप करने का फैसला. रांची में 500 बैड वाले सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल के लिए टाटा समूह से समझौता
  • राज्य में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी और स्पोर्ट्स एकेडमी खोलने का फैसला. जिससे कि राज्य की खेल प्रतिभा को निखारा जा सके. इसके लिए होटवार स्थित खेलगांव का चयन किया गया.
  • रांची में ट्रिपल आइटी खोलने पर काम तेज. सीएम रघुवर दास ने मानव संसाधन मंत्रालय को लिखी चिट्ठी. जिसमें जल्द से जल्द काम शुरू करने का आग्रह किया.
  • राज्य में डिफेंस यूनिवर्सिटी खोलने का फैसला.
  • उद्योगों के विकास पर सरकार का ध्यान. नई ओद्योगिक नीति बनाने की घोषणा. राज्य में ज्यादा से ज्यादा निवेश के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की बात.
  • रेल परियोजनाओं को लेकर रेल मंत्रालय से किया समझौता किया. राज्य में अधूरे पडे परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरा करने को लेकर समझौता. इसके लिए रेल मंत्रालय के साथ लगभग 6 हजार करोड़ के एमओयू पर हस्ताक्षर.
  • पर्यटन विकास पर विशेष ध्यान. रघुवर सरकार ने राज्य में टूरिस्ट सर्किट बनाने का लिया फैसला. राज्य के प्रूमुख धार्मिक स्थलों और पर्यटन स्थलों को एक सर्किट में जोड़ने का निर्णय.
  • पहले सौ दिनों में रघुवर सरकार ने ई-गवर्नेंस पर काफी जोर दिया था. सरकार ने डिजिटलाइजेशन और कम्प्यूटरीकरण पर विशेष ध्यान दिया. कई विभागों का कम्प्यूटराइजेशन भी किया.
  • पहले सौ दिनो के कार्यकाल के दौरान रघुवर सरकार ने 6महीनों में राज्य के 1 लाख युवाओं को नौकरी देने की बात कही. साथ ही युवाओं के स्किल को निखारने के लिए कौशल विकास योजना की शुरुआत की. इसके अलावे रोजगार नीति भी बनाने की बात कही.
  • इसके अलावे रघुवर दास ने कहा कि वो जल्द ही स्थानीय नीति बना लेंगे.
  • मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात कही.

रघुवर दास ने शुरुआती सौ दिनों में जितनी भी घोषणाएं की उस पर काम भी किया. कई योजनाएं हैं, जो आज धरातल पर नजर आती हैं. कुछ योजनाएं जो जमीन पर उतरी, लेकिन उसपर काफी विवाद हुआ. सरकार ने आगे चलकर रोजगार नीति भी बनाई. स्थानीय नीति की घोषणा भी की. जिसपर काफी बवाल भी मचा. औद्योगिक क्षेत्र में भी काफी समझौते हुए. पर्यटन के क्षेत्र में काफी बेहतर काम हुआ. लेकिन कई ऐसे सेक्टर रहे जिसपर और भी बेहतर काम हो सकता था. कुल मिलाकर कह सकते हैं कि शुरुआती विजन रघुवर सरकार की अच्छी थी. हालांकि आगे चलकर उसके क्या परिणाम आए वो हम सबके सामने हैं.

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हेमंत सोरेन सरकार के सौ दिन भी पूरे हो चुके हैं. रघुवर सरकार के शुरूआती सौ दिन के काम को हमने देखा था. दोनों ही सरकारों के काम की बात करें तो, दोनों ने ही शुरुआती दिनों विकास का विजन दिखाया. एक सरकार के पूरे कार्यकाल को आप देख चुके हैं. दूसरे सरकार के कार्यकाल को भी देखते जाइए. आशा है कि वो अपने विजन पर काम काम करती जाएगी. जिससे जनता का भला होगा और राज्य का विकास.

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