रांची: मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को कहा कि लॉकडाउन को लेकर पशोपेश की स्थिति 13 अप्रैल को साफ हो जाने की पूरी उम्मीद है. उन्होंने कहा कि पूरे देश में आई कोरोना आपदा कोई भी रूप ले सकती है. उन्होंने कहा कि झारखंड के संबंध में आपदा का जो कैरेक्टर है उसको लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल है. उन्होंने कहा कि अगर लॉकडाउन को लेकर कोई बात कही गई तो वैसे लोगों पर मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा जो बाहर के राज्यों में फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि इन सब चीजों पर समय आने पर निर्णय लेंगे.
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डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन बढ़ाने का किया आग्रह
वहीं, मौजूद डॉक्टरों ने एक सुर से लॉकडाउन को ब्रेक नहीं करने की सलाह दी. बैठक में शामिल डॉक्टरों ने साफ कहा कि लॉकडाउन को अगले कुछ और हफ्तों तक बढ़ाना होगा. उन्होंने साफ कहा कि अगर लॉकडाउन ब्रेक किया गया तो दिक्कत होगी. हर हाल में इसे बढ़ाना चाहिए. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस महामारी पर सोशल डिस्टेंसिंग और और लॉकडाउन से ही जीत हासिल की जा सकती है. ऐसे में लॉक डाउन को बढ़ाना जरूरी हो जाता है, कर इतना ही नहीं डॉक्टर ने साफ तौर पर कहा कि जिन इलाकों में फुट फॉल ज्यादा है वहां अभी स्टेरलाइजेशन होना चाहिए. उनमें से कुछ डॉक्टरों ने कहा कि फायर ब्रिगेड की गाड़ियों से भी स्टेरलाइजेशन वैसे इलाकों का कराया जाना चाहिए.
आईएमए ने डॉक्टर की सुरक्षा और एन्टी बॉडी टेस्ट की रखी मांग
बैठक में शामिल डॉक्टरों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के स्टेट कोऑर्डिनेटर अजय कुमार सिंह ने कहा कि डॉक्टर इस लड़ाई में सीधा सामने हैं. ऐसे में उनकी सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. वही आईएमए के सेक्रेटरी प्रदीप कुमार सिंह ने कहा कि सरकार अकेले नहीं लड़ सकती है, संसाधन और मैन पावर की कमी है इसलिए सभी लोगों को एकजुट होकर लड़ाई में शामिल होना होगा. उन्होंने कहा कि यह भी स्वागत योग्य कदम है कि जेपीएससी ने 280 डॉक्टरों की बहाली के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है. इसके साथ ही पारा मेडिकल स्टाफ की बहाली होनी जरूरी है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि एंटी बॉडी टेस्ट की भी व्यवस्था होनी. वहीं डॉक्टर भारती कश्यप ने कहा कि हॉस्पिटल मौजूदा दौर में एक बड़ा हॉटस्पॉट है और वहां काम कर रहे डॉक्टरों को कम से कम 5 दिन के लिए क्वॉरेंटाइन कर देना चाहिए. वहीं कुछ डॉक्टरों ने डायलिसिस की समस्या का मामला भी उठाया.