रांची: कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन के बीच पूरा सिस्टम सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित कराने में जुटा है. सबको अपनी-अपनी जान की फिक्र है. संक्रमण के इस दौर में चिड़ियाघर के बाड़े में बंद जानवरों की हिफाजत भी बहुत बड़ी चुनौती है. इसकी पड़ताल की ईटीवी भारत की टीम ने.
बिरसा मुंडा चिड़ियाघर में व्यवस्था काबिले तारीफराजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रांची पटना पथ पर ओरमांझी के बिरसा मुंडा चिड़ियाघर की व्यवस्था काबिले तारीफ थी. चिड़िया घर के गेट पर पहुंचते ही वहां तैनात वनकर्मियों ने पूरी गाड़ी को सेनेटाइज किया, तब जाकर चिड़ियाघर में प्रवेश करने की अनुमति मिली. चिड़ियाघर में जानवरों के बाड़े की तरफ जाते वक्त ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी जंगल में आ गए हों. जंगल वाली शांति थी. तरह-तरह के पक्षियों की आवाज सन्नाटे में मधुर रस घोल रही थी.
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पशु चिकित्सक ने दी जानकारी
चिड़ियाघर के पशु चिकित्सक डॉ अजय और वन पदाधिकारी रामचंद्र पासवान ने जानवरों के सेहत और वहां की व्यवस्था की जानकारी दी. बताया गया कि जानवरों को कोरोना वायरस से कोई खतरा नहीं है. लेकिन ऐसे समय में अलग तरह के इंफेक्शन का खतरा बना रहता है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि पिछले दिनों इसी चिड़ियाघर में गरुड़ और उल्लू की मौत हुई थी और यह बात सामने आई थी कि उनकी मौत बर्ड फ्लू के कारण हुई है.
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विशेष ख्याल रखा जा रहा
हालांकि, बर्ड फ्लू के संक्रमण को यहां नियंत्रित कर लिया गया है. बता दें कि यहां मलिक नाम का बाघ दिखा, तेंदुआ भी नजर आया और ब्लैक पैंथर भी. वन पदाधिकारी ने बताया कि लॉकडाउन के बीच चिड़ियाघर के जानवर रिलैक्स फील कर रहे हैं. बहरहाल, बिरसा मुंडा चिड़ियाघर में संभावित किसी तरह के संक्रमण को रोकने के लिए जो व्यवस्था की गई है वह काबिले तारीफ है. शुतुरमुर्ग हो या बत्तख, या फिर अन्य जानवर, लॉकडाउन के बीच सभी का विशेष ख्याल रखा जा रहा है.