रांची:हेमंत सोरेन सरकार ने 2022 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. इसके तहत उन्होंने युवाओं से वादा किया है कि ज्यादा से ज्यादा नियुक्ति कर राज्य में बेरोजगारी दर को घटाया जाएगा. लेकिन नियुक्ति में अब धीरे-धीरे अड़चन आ रही है. ताजा मामला है शिक्षकों की नियुक्ति का. कार्यरत शिक्षकों ने कहा है कि राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है शिक्षकों की नियुक्ति ज्यादा से ज्यादा होनी चाहिए.
झारखंड में शिक्षकों के 60 हजार नए पदों के सृजन के लिए सरकार ने एक योजना बनाई थी. लेकिन पद वर्ग समिति जो मुख्य सचिव की अध्यक्षता में संचालित होती है, ने इस पर आपत्ति दर्ज कराई है. समिति ने राज्य सरकार को सुझाव देते हुए कहा है कि एक साथ शिक्षकों के 60 हजार नए पद के सृजन पर रोक लगाई जाए. क्योंकि इससे राज्य सरकार पर वित्तीय भार बढ़ेगा. शिक्षकों को प्रतिमाह 30,000 रुपये महीना वेतन अगर दिया जाता है तो झारखंड सरकार पर मासिक 180 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ बढ़ने की संभावना है. इसी वित्तीय भार को देखते हुए समिति ने स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग के पद सृजन के प्रस्ताव में कटौती करने का सुझाव भी राज्य सरकार को दिया है.
नियुक्ति वर्ष में 60 हजार पद सृजन पर लग सकती है रोक! राज्य में शिक्षकों की भारी कमी - शिक्षकों के 60 हजार नए पद के सृजन पर रोक
हेमंत सोरेन सरकार ने इस साल को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. जिसके तहत इस साल युवाओं को नौकरी दी जानी है ताकि राज्य में बेरोजगारी दर कम किया जा सके. लेकिन दूसरी तरफ लगभग शिक्षकों के 60 हजार नए पद के सृजन पर रोक लग सकती है.
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राज्य में शिक्षकों की कमी
राज्य में शिक्षकों की भारी कमी है. उच्च शिक्षा से लेकर प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था करने के लिए शिक्षकों की नियुक्ति होना जरूरी है. लेकिन एक लंबे समय से शिक्षकों की नियुक्ति राज्य में नहीं हुई है. राज्य सरकार ने युवाओं को वादा करते हुए कहा था कि इस वर्ष शिक्षकों की नियुक्ति होगी. लेकिन अब शिक्षकों की नियुक्ति और पद सृजन में कटौती का सुझाव सरकार को मिला है. झारखंड में वर्षों से शिक्षकों के पद का भी सृजन नहीं हुआ है. प्राइमरी, मिडिल, हाई स्कूल अपग्रेड तो हो गए. लेकिन शिक्षकों के पद सृजित नहीं हुए. इसके अलावा लगातार शिक्षक रिटायर हो रहे हैं और पद रिक्त हो रहे हैं. मामले को लेकर कार्यरत शिक्षकों ने कहा है कि राज्य में शिक्षकों की कमी है और इस और सरकार को ध्यान देने की जरूरत है. शिक्षक रहेंगे तो पठन-पाठन होगा और गुणवत्ता युक्त स्कूलों में पढ़ाई संचालित की जा सकेगी.