नई दिल्ली: रेलवे ने दो राजधानी गाड़ियों में पार्सल लाने और ले जाने की जिम्मेदारी ई-कॉमर्स कंपनी को सौंपी है. पायलट तौर पर इसे शुरू किया गया है. हालांकि शुरुआत के साथ ही इसका विरोध भी शुरू हो गया है.
दरअसल, अमेज़न इंडिया ने रेलवे पार्सल सर्विस पर दावेदारी पेश करते हुए एक प्रस्ताव पिछले दिनों रेलवे को सौंपा था. रेलवे के अधिकारियों ने सियालदह राजधानी और मुंबई राजधानी गाड़ियों में गार्ड के डिब्बे के साथ लगने वाले एसएलआर में पार्सल के परिवहन की कंपनी को दे दी है. 4 टन की कुल क्षमता वाले इस एसएलआर में 2.5 टन जगह में अमेजन के पार्सल बुक होने के बाद बाकी बची 1.5 टन की जगह पर रेलवे की ओर से आम लोगों द्वारा बुक कराए गए माल को लाया और ले जाया जाएगा. फिलहाल इसे 1 महीने की जिम्मेदारी सौंपी गई है जबकि इस समय-सीमा को 2 महीने के लिए और बढ़ाया जा सकता है.
'निजी कंपनी को रेलवे ने सौंपा काम'
रेलवे बोर्ड ने नॉर्दर्न, ईस्टर्न और वेस्टर्न रेलवे के चीफ कमर्शियल मैनेजर को यह आदेश दिया है कि योजना जल्द से जल्द लागू हो. वहीं आदेश के साथ लीज होल्डरों ने इसका विरोध करते हुए इसे गैर कानूनी बताया है. इसी को लेकर स्टेशन पर लोडिंग अनलोडिंग करने वाले कर्मियों की यूनियन ने विरोध की घोषणा की है. भारतीय रेलवे लोडिंग-अनलोडिंग वर्कर यूनियन के अध्यक्ष राज कुमार इंदौरिया का आरोप है कि रेलवे ने अपनी पॉलिसी के खिलाफ जाकर बिना टेंडर के ये काम निजी कंपनी को सौंपा है जो गलत है.