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52 की उम्र में पूरी की लॉ की पढ़ाई, अब महिलाओं को कर रहीं जागरूक

रांची की रुना मिश्रा उन सभी महिलाओं के लिए मिसाल का वह नाम हैं जो अक्सर अपनी आधी उम्र बीतने पर कुछ कर गुजरने की चाहत को गंवा बैठती हैं. वहीं, रुना ने न सिर्फ इन सभी दायरों से आगे बढ़कर अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की बल्कि समाज के प्रति एक अहम भूमिका भी निभा रही है.

Advocate Runa Mishra's story of Ranchi
रुना मिश्रा की कहानी

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Published : Mar 5, 2020, 11:46 AM IST

रांचीः अमूमन 50 वर्ष की उम्र के बाद ज्यादातर लोग अपनी निजी जिंदगी की आफियत को लेकर ज्यादा गंभीर हो जाते हैं ताकि उन्हें अपने बुढ़ापे में किसी तरह की कोई परेशानियों का सामना ना करना पड़े. लेकिन राजधानी के कोकर की रहने वाली एक महिला अपने 50 से ज्यादा उम्र बीत जाने के बाद एलएलबी की डिग्री लेकर महिलाओं को कानून की जानकारी देकर उन्हें जागृत करने का काम रही है.

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एलएलबी की शिक्षा लेकर महिलाओं को कर रही जागरूक

रुना मिश्रा ऐसे तो पिछले कई सालों से महिलाओं को जागृत करने का काम कर रही हैं लेकिन वकालत सिर्फ पिछले 1 साल से कर रही हैं. उनकी उम्र 52 है. रुना मिश्रा बताती हैं कि आज भी हमारे देश में महिलाओं की स्थिति काफी दयनीय है क्योंकि देश में आज भी निचले तबके के समाज की महिलाओं को दमनकारी समाज के साए में जीना पड़ रहा है. इसीलिए उन्होंने समाज के इस रूप को देखते हुए एलएलबी की जानकारी ली और जानकारी लेकर अशिक्षित और ग्रामीण महिलाओं को कानूनी रूप से सजग करने के साथ-साथ उन्हें अपने हक और अधिकार की भी जानकारी दे रही हैं.

रुणा मिश्रा झारखंड के ग्रामीण इलाकों में रह रही महिलाओं को ट्रेनिंग देकर उन्हें सशक्त बनाने का काम करती हैं. साल 2013 में रांची आने के बाद से रुणा मिश्रा खूंटी जिले के कई ग्रामीण महिलाओं को सशक्त और आर्थिक रूप से सबल बनाने का काम कर रही है.

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इसके साथ ही रुना मिश्रा ने ग्रामीण महिलाओं को बांस की वस्तुएं बनाने को लेकर ट्रेंड करने का काम कर रही हैं. इसके लिए उन्होंने इंजीनियरिंग के छात्रों से संपर्क कर महिलाओं को डिजाइनिंग का ज्ञान देकर उन्हें काबिल बना रही हैं. वहीं, ट्रेंड हुई महिलाएं टोकरी, कागज के फूल, हैंड क्राफ्ट सहित कई ऐसे सजाने वाले सामानों का निर्माण कर अपना गुजारा कर रही हैं.

दो गरीब लड़कियों की पढ़ाई की ली जिम्मेदारी

रुना मिश्रा इंसानियत का मिसाल देते हुए मोहल्ले में रहने वाली दो गरीब लड़कियों के पढ़ाई-लिखाई और स्वास्थ्य की जिम्मेदारी भी अपने ऊपर ली है. रूणा मिश्रा बताती हैं कि समाज में लड़कियों के पिछड़ने का मुख्य कारण उनकी शिक्षा है. इसीलिए उन्होंने दो बच्चियों के नाबालिग होने तक उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी ली है. रुना मिश्रा की अपनी एक बेटी भी है जो बेंगलुरु में काम करती है लेकिन रुना उसके बावजूद भी दो बच्चों की जिम्मेदारी लेकर महिलाओं के लिए एक मिसाल बनी है.

प्रीति कुमारी और प्रिया कुमारी बताती है कि रुना की वजह से आज वह लगातार आगे बढ़ रही हैं क्योंकि अपनी गरीबी और परिवारिक समस्या के कारण शिक्षा प्राप्त नहीं कर पा रही थी लेकिन रुना मिश्रा की मदद से वह आज समाज में आगे बढ़ रही हैं.

गुड़गांव में भी महिलाओं को सशक्त बनाने का काम किया

रुना मिश्रा के पति सेना के रिटायर्ड कर्नल रवि शुक्ला बताते हैं की वह अपने पत्नी को देख काफी गर्व महसूस करते हैं. उनका कहना है कि महिला से ही समाज पूर्ण हो सकता है इसलिए महिला को सशक्त करना किसी के लिए भी गर्व की बात है. इससे पहले रुना मिश्रा पहले गुड़गांव में रहा करती थी जहां वह गुरुग्राम की महिलाओं को सशक्त बनाने का काम कर चुकी हैं.

गौरतलब है कि राजधानी में महिलाओं के लिए विशिष्ट और उत्कृष्ट कार्य कर रही रुना मिश्रा को कई सामाजिक संस्थानों और सरकारी स्तर पर भी पुरस्कृत किया जा चुका है. ऐसे तो रुना मिश्रा को अपने जीवन यापन के लिए किसी चीज की कमी नहीं है लेकिन अपने आराम और सुख को त्याग कर वह लगातार महिलाओं और लाचार लोगों की मदद कर महिलाओं के लिए एक मिसाल बन गई हैं.

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