रांची: भारत के लिए 21 जून काफी खास दिन है. 21 जून को ही अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है. योग भारतीय विज्ञान की 5 हजार वर्ष पुरानी विरासत है. योग साधना में जीवन शैली का पूर्ण सार समाहित किया गया है. 21 जून साल का सबसे लंबा दिन होता है और योग भी मनुष्य को दीर्घायु जीवन प्रदान करता है. पहली बार योग दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया और तब से लेकर लगातार इस दिवस को मनाया जाता रहा है. इस साल छठा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस है. इस बार कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से योग दिवस को घर पर ही सोशल डिस्टेंस के साथ मनाने की अपील की गई है.
भारत में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 35 हजार 950 लोगों के साथ नई दिल्ली में पहले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के दिन 35 मिनट तक योगासन किया था. राजपथ पर हुए समारोह ने गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी जगह बनाई. सबसे बड़ी योग क्लास 35 हजार 950 लोगों के साथ और 44 देशों के लोगों ने इस आयोजन में एक साथ भाग लेने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है.
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कोरोना का साया
इस वर्ष कोरोना महामारी की वजह से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस धूमधाम से नहीं मनाया जाएगा. ऐसे में आपको घर पर रहकर ही योग करना है. झारखंड के प्रसिद्ध योगाचार्य सन्यासी मुक्तरत महाराज ने भी लोगों से अपील की है कि वह विश्व योगा दिवस के दिन योग जरूर करें. इस कोविड-19 बीमारी के डर को हटाने के लिए योगासन और ध्यान आसन जरूर करें. कोविड-19 से भी बड़ा है मनुष्य के अंदर का डर और उस डर को हटाने के लिए योगासन जरूरी है. सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखते हुए सत्यानंद योग मिशन की ओर से योगाचार्य और योग प्रशिक्षुओं के साथ योग विधि प्रारंभ भी हो चुकी है. पूरे देश के लिए यह एक संदेश है कि भारतीय संस्कृति और परंपरा को निभाने के लिए योग जरूरी है. इसलिए तमाम दिशा निर्देशों का पालन करते हुए 21 जून को योगासन जरूर करें.
3 प्रमुख बातों को सिखाता है योग
योग में 3 प्रमुख बातों को सिखाया जाता है. पहला शरीर को स्वस्थ रखना आसन के अभ्यास से, दिमाग को स्वस्थ रखना प्राणायाम के अभ्यास से और तीसरा भावना यानी कि इमोशन को कंट्रोल करने के लिए आत्मिक उत्थान के लिए ध्यान का अभ्यास. इसलिए रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए योग बहुत ही जरूरी है. 21 जून के अलावा भी रोजाना योगासन स्वस्थ शरीर और स्वस्थ मन के लिए आवश्यक है.