रांची: राजधानी रांची में क्लोन चेक तैयार कर खाते से पैसे निकासी करने वाले एक गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है. लालपुर थाने की पुलिस ने शुक्रवार को क्लोन चेक के जरिए से 37. 90 लाख रुपये की निकासी के आरोप में चार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. बता दें कि गिरफ्तार आरोपियों में रांची के मनी टोला का रहने वाला अकबर अली, पूर्वी सिंहभूम का आलोक कुमार और गुमला का संदीप और साकेत शामिल हैं.
बैंक की सूचना पर पकड़ा गया गिरोह
लालपुर पुलिस को सूचना मिली थी कि अकबर अली नाम का एक युवक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के लालपुर शाखा में ज्ञान इंटरनेशनल कंपनी नई दिल्ली के नाम का 37.90 लाख रुपये का चेक जमा कर राशि अपने खाते में ट्रांसफर करवा रहा है. बैंक के अधिकारियों को अकबर अली पर शक हुआ जिसके बाद उन्होंने तुरंत लालपुर थाने को पूरे मामले की जानकारी दी.
क्लोन चेक
लालपुर थाना के द्वारा पकड़े गए अकबर ने खुलासा किया की जो चेक वह लेकर आया था, असल में वह क्लोन चेक है. उसके जरिए वह ज्ञान इंटरनेशनल कंपनी के 37.90 लाख रुपये अपने खाते में डाल चुका है. पुलिस ने जब कड़ाई से अकबर अली से पूछताछ की तो उसने अपने गिरोह के दूसरे साथियों के बारे में भी जानकारी दी.
साइबर अपराधी अकबर अली के तीन और साथी भी पकड़े गए
अकबर अली से मिली जानकारी के अनुसार, लालपुर पुलिस ने रांची के विभिन्न इलाकों में छापेमारी कर चेक प्रिंट करने वाला प्रिंटर, सीपीयू , हार्ड डिस्क, कई चेक, मोबाइल और बैंक स्टेटमेंट बरामद किए गए. जैसे ही पुलिस को जानकारी मिली की अकबर अली साइबर अपराधी है, बैंक से उसका अकाउंट फ्रीज करवा दिया गया. छापेमारी में अकबर अली के तीन और साथी भी पकड़े गए.
30 प्रतिशत हिस्सा
क्लोन चेक गिरोह में शामिल सदस्य अकबर को अपने खाते से राशि की निकासी करता है. उसका खाता सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में है. कुल राशि की निकासी के एवज में अकबर को 30% हिस्सा दिया जाता है. पूछताछ में आरोपी अकबर ने खुलासा किया है.
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सभी शातिर
गिरफ्तार साकेत कंप्यूटर के जरिए किसी भी चेक का क्लोन तैयार कर लेता था. इसके बाद बैंक से मिलता जुलता कागज पर चेक प्रिंट करता था. फिलहाल पुलिस संबंधित कागजों के सोर्स का पता लगा रही है. साथ ही बैंक कर्मियों की मिलीभगत की भी जांच कर रही है. वहीं गिरोह का आलोक कुमार किसी भी हस्ताक्षर करने में माहिर है. पुलिस की जांच में खुलासा हुआ है. जांच के क्रम में यह बात सामने आई है कि आलोक क्लोन चेक पर लोगों का साइन करता था. उसके साइन करने के बाद गिरोह के अन्य सदस्य राशि की निकासी करते थे.