झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

शारदीय नवरात्र: यहां गुड्डे-गुड़ियों के रुप में होती है मां आदिशक्ति की आराधना, ये है मान्यता

जमशेदपुर में रहने वाले दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना समाज के लोग अपने घरों में शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा गुड़िया के रूप में करते हैं. समाज के सभी लोग अपने-अपने घरों में 9 दिनों तक कई तरह के अलग-अलग रूप के खिलौनों को सीढ़ीनुमा मंच पर सजाते हैं. मान्यता है कि सीढ़ी विषम संख्या में होनी चाहिए.

गुड्डे-गुड़ियों के रुप में होती है मां आदिशक्ति की आराधना

By

Published : Oct 3, 2019, 3:18 PM IST

Updated : Oct 3, 2019, 4:31 PM IST

जमशेदपुर: शारदीय नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा बड़े ही भव्य तरीके से धूमधाम से की जाती है. पंडाल में मां की मूर्ति को स्थापित किया जाता है. कुछ लोग घरों में अपनी श्रद्धानुसार मां की आराधना करते हैं. इन सबसे अलग शहर में रहने वाले दक्षिण भारत के आंध्र और तेलंगाना समाज के लोग मां की पूजा कुछ अलग भाव से करते हैं. 9 दिनों तक होने वाली इस पूजा में समाज के लोग अपने घरों में गुड़िया के रूप में मां की पूजा अर्चना करते हैं. इसे गुड़िया पूजा कहा जाता है.

वीडियो में देखें ये स्पेशल स्टोरी

जमशेदपुर में रहने वाले दक्षिण भारत के आंध्रा और तेलंगाना समाज के लोग अपने घरों में शारदीय नवरात्र में मां दुर्गा की पूजा गुड़िया के रूप में करते हैं. समाज के सभी लोग अपने-अपने घरों में 9 दिनों तक कई तरह के अलग-अलग रूप के खिलौनों को सीढ़ीनुमा मंच पर सजाते हैं. मान्यता है कि सीढ़ी विषम संख्या में होनी चाहिए.

सीढ़ी के सभी मंच पर रंग बिरंगी खूबसूरत आकर्षक छोटी-छोटी मूर्तियों को सजाया जाता है. इसमें खिलौने भी रहते हैं और सबसे ऊपर लकड़ी के बने हुए काले रंग के गुड्डा गुड़िया को रखा जाता है. भगवान विष्णु के 10 अवतार के अलग-अलग रूप की मूर्तियाों के अलावा अष्टलक्ष्मी की मूर्तियों को भी सजाया जाता है. तेलंगाना समाज की महिलाएं महालया की रात से यह पूजा प्रारंभ करती हैं और नवमी तक अपने घर में सुबह शाम भजन, श्लोक और सहस्त्रनाम का पाठकर आरती भी करती हैं. सभी मूर्तियों के सामने प्रसाद की थाल और दीपक रखा जाता है, जो 9 दिनों तक प्रज्जवलित रहता है.

ये भी पढ़ें-शारदीय नवरात्र: अलौकिक है रजरप्पा की मां छिन्नमस्तिके का स्वरूप, दूर-दूर से दर्शन को आते हैं भक्त

70 वर्षीय बुजुर्ग महिला सरोजा सुंदरम बताती हैं कि आदिकाल से पीढ़ी दर पीढ़ी यह परंपरा चली आ रही है. 9 दिन में 3 दिन मां दुर्गा, अगले 3 दिन मां लक्ष्मी और शेष 3 दिन मां सरस्वती की पूजा करते हैं. यह पूजा आदिकाल में ऋषि मुनियों द्वारा की गई थी, जो आज भी जारी है. लकड़ी की मूर्ति बनाते हैं और उसकी पूजा करते हैं क्योंकि लकड़ी में शक्ति होती है.

गुड़िया पूजा में मान्यता है कि 9 दिनों तक सजाई गई गुड़ियों और मूर्तियों को छुआ नहीं जाता और इस बात का ध्यान रखा जाता है कि कहीं मूर्तियां गिरे नहीं क्योंकि ऐसा होने से अनिष्ट माना जाता है. 9 दिनों तक अलग अलग तरह की मिष्ठान का भोग लगाया जाता है और दसवें दिन विशेष पूजा-अर्चना कर सभी गुड्डा गुड़िया और भगवान को शयन के लिए रखा जाता है. इसके बाद उन्हें अपने घरों में रखते हैं. इस पूजा की मान्यता है कि घरों में सुख शांति समृद्धि और विद्या का वास होता है.

ये भी पढ़ें-नवरात्र के मौके में भक्ति में डूबा दुमका शहर, डॉ लुईस मरांडी ने जमकर खेला डांडिया

आस-पड़ोस की महिलाओं को अपने घर बुलाया जाता है और उन्हें कुमकुम, चंदन लगाया जाता है और जाते वक्त उन्हें नारियल और प्रसाद देकर विदा किया जाता है. मान्यता है कि ऐसा करने से अपनों के साथ-साथ दूसरों के भी घर में बरकत और सुख शांति रहती है.

Last Updated : Oct 3, 2019, 4:31 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details