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Published : Sep 9, 2019, 5:28 PM IST

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शर्मनाक: बच्चे यहां डेकची में जाते हैं स्कूल, 'वाटर खाट एंबुलेंस' बचाती है मरीजों की जिंदगी

घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वासपुर गांव के लोग पुल नहीं होने से डेकची और खाट के सहारे गहरी नदी पार करते हैं. इस गांव के आस-पास करीब 10 गांव हैं. इसके बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है. 10 से 15 किलोमीटर घूमकर शहर जाने का रास्ता है. सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिला, बुजुर्ग और बच्चों को होती है.

वाटर खाट एंबुलेंस

घाटशिला/पूर्वी सिंहभूम: घाटशिला अनुमंडल के मुसाबनी प्रखंड के स्वासपुर गांव के लोग पुल और सड़क नहीं होने पर झारखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2019 का बहिष्कार करेंगे. ग्रामीणों का दर्द उस वक्त छलकता है, जब ग्रामीण बताते हैं कि किस तरह से बच्चों को बड़े-बड़े डेकची में बैठाकर नदी पार कराते हैं. मरीजों को ट्यूब के ऊपर खटिया डालकर नदी पार करके जमशेदपुर लाते हैं.

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ग्रामीण महिलाओं का कहना है कि शादी के लिए घर में लड़का लड़की हैं, लेकिन लोग इस गांव में विकास नहीं होने से शादी भी नहीं कर पा रहे हैं. हम लोग काफी परेशान हैं. मरीज को खटिया में ले जाते हैं तो बच्चों को स्कूल डेकची में बैठाकर ले जाते हैं. इस गांव के आस-पास करीब 10 गांव हैं. इसके बावजूद गांव को सड़क से जोड़ने का रास्ता नहीं है. 10 से 15 किलोमीटर घूमकर लोग शहर जाने के लिए रास्ता लेते हैं. स्वासपुर गांव में ज्यादातर ग्रामीण किसान हैं. यहां सब्जी की खेती खूब होती है. इस गांव कोई पुल नहीं है. ग्रामीणों को नदी को पार करके आना-जाना करना पड़ता है.

सबसे ज्यादा तकलीफ गर्भवती महिलाओं को होती है. उनको जरुरत के समय लाने ले जाने में बेहद तकलीफ होती है. गांव में कोई बीमार हो जाए तो ग्रामीण उसको ट्यूब पर खटिया डालकर उसपर मरीज को लिटाकर डॉक्टर के पास ले जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि 1976 से वो इस गांव में रह रहे हैं. उस वक्त नदी छोटी थी, लेकिन अब नदी बहुत गहरी हो गई है. ग्रामीण कई सालों से इस नदी पर पुल की मांग कर रहे हैं.

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मामले को लेकर मुसाबनी बीडीओ का कहना है कि यूसीआईएल से सीएसआर के तहत यहां एक लोहे का ब्रिज बनाने को कहा गया है. हालांकि समय की कमी के कारण अब तक निर्माण नहीं हो सका है. जल्द ही पुल का निर्माण कराया जाएगा.

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