जमशेदपुर: मजदूर दिवस के दिन जमशेदपुर के मानगो में मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. इनके लिए मजदूर दिवस मतलब छुट्टी का दिन नहीं होता है. इन्हें लाइन में लगकर अपने पेट की खातिर बोली लगवानी पड़ती है.
मजदूर दिवस पर मजदूरों को नहीं मिली छुट्टी, 200 रुपए में यहां लग रही बोली
किसी के हाथ में कुदाल है, तो किसी की साइकिल में थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं. मानगो चौक पर रोजाना की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. शहर से 40 किलोमीटर दूर पटमदा, पोटका, घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश में खड़े हैं. इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होती, इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.
किसी के हाथ में कुदाल है, तो किसी की साइकिल में थैला बंधा है. सड़क के रास्ते मजदूरों से भर चुके हैं. मानगो चौक पर रोजाना की तरह आज भी मजदूरों की बोली लगाई जा रही है. शहर से 40 किलोमीटर दूर पटमदा, पोटका, घाटशिला से आए मजदूर काम की तलाश में खड़े हैं. इनके लिए मजदूर दिवस का मतलब छुट्टी नहीं होती, इनके लिए काम ही मजदूर दिवस है.
मजदूरों ने बताया मजदूरों की बोली 200 से शुरू होती है. कई मजदूरों के घर का चूल्हा तभी जलता है, जब उन्हें कहीं काम मिलता है. मजदूरों ने बताया कि लगभग 5 हजार से ज्यादा मजदूर अपना घर चलाने के लिए रोजाना यहां आते हैं. सभी लोगों को हर दिन काम नहीं मिलता है. सुबह सात बजे से दोपहर 12 बजे तक खड़े रहने वाले लोगों ने बताया कि एक हफ्ते में 3 से 4 दिन ही काम मिल पाता है.