जमशेदपुर: खुशियों और रोशनी के पर्व दिवाली को लेकर जमशेदपुर में पूरी तैयारी कर ली गई है. बाजार सज गया है. जमशेदपुर में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान के तहत छोटे लघु उद्योगों और हस्तनिर्मित वस्तुओं को बढ़ावा देने के लिए दिवाली मेले के जरिए महिलाओं और कुम्हारों को एक मंच दिया है. इस मेले की जरिये पुरानी कला संस्कृति को भी बताने का काम किया गया है.
दिवाली को लेकर पूरे देश में एक बड़ा बाजार होता है, जिसमें मिट्टी के दीए से लेकर घर को सजाने के लिए कई आकर्षक चीजों की खरीदारी होती है. वहीं, इन बाजारों में समय के साथ बदलाव भी देखा गया, प्लास्टिक और चाइनीज सामान बाजार में सस्ते दरों में बिकते रहे हैं. ऐसे में अपने देश की खुशबू को पर्व त्योहार के मौके पर बिखेरने की लिए और छोटे से छोटे कलाकारों को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए देश के प्रधानमंत्री ने वोकल फॉर लोकल अभियान की शुरुआत की. इस अभियान को दिवाली के मौके पर सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने साकार रूप देने की पहल की है.
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कोविड-19 गाइडलाइन के तहत स्टॉल लगाए गए
चैंबर ने जमशेदपुर के छोटे लघु उद्योग से जुड़े मिट्टी के दिए बर्तन और सजावट के सामान बनाने वाले कलाकारों को चैंबर भवन में बैठाकर मेले का रूप दिया. जहां कोविड-19 गाइडलाइन के तहत स्टॉल लगाए गए हैं. स्टॉल में महिलाओं की ओर से निर्मित मिट्टी के सामान हस्तनिर्मित खूबसूरत सजावट के सामान और कुम्हारों के बनाए गए दीपक और कलश आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं. कड़ी मेहनत से चाक पर बनाए गए मिट्टी से निर्मित सामानों के इस मेले में पुरानी कला संस्कृति की झलक भी देखने को मिल रही है, जो आज विलुप्त होती जा रही है.
वोकल फॉर लोकल अभियान
सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्य अनिल मोदी ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल अभियान को इस मेले के जरिए साकार किया जा रहा है. एक छत के नीचे दिवाली के सभी सामान मौजूद हैं. महिलाओं और कुम्हारों को एक मंच दिया गया है, जिससे उन्हें रोजगार भी मिल सके और उनकी कला संस्कृति की पहचान भी बनी रहे.
महिलाओं को मिला सम्मान
दीपावली के मेले में मिट्टी के खूबसूरत रंग से सजे दिए और सजावट के समान का स्टॉल लगाने वाली नलिनी सिन्हा ने बताया कि इस तरह के मेले से महिलाओं को सम्मान मिला है. उनके निर्मित वस्तुओं के जरिए पुरानी कला संस्कृति को जिंदा रखने का प्रयास भी किया गया है और उन्हें रोजगार भी मिला.
वहीं, मिट्टी के दीए बेचने वाले कुम्हार विनोद प्रजापति को खुशी इस बात की है कि कोविड-19 गाइडलाइन के तहत वह भीड़भाड़ से अलग अपने हाथों से निर्मित दिए और अन्य सामान को बेच रहे हैं. उन्हें पूरा भरोसा है उन्हें इस अवसर का पूरा लाभ मिलेगा.
एक छत के नीचे सभी सामान
वहीं, भीड़भाड़ से बचते हुए दीपावली की खरीदारी करने पहुंचे ग्राहकों ने बताया कि कोविड-19 के इस कॉल में एक छत के नीचे सभी सामानों के मिलने से उन्हें राहत मिली है. श्रद्धा अग्रवाल और राजीव ने बताया कि बाजार में मिलने वाले प्लास्टिक के सामान के अपेक्षा यहां मिट्टी से बनी आकर्षक चीजों का मिलना बड़ी बात है. ऐसे आयोजन से स्वदेशी चीजों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के साथ आत्मनिर्भर भारत का सपना भी साकार होगा. साथ ही आज की पीढ़ी को जानने का मौका मिलेगा कि पुरानी संस्कृति कैसी है और उन्हें कितनी मेहनत से संजोया गया है.
लक्ष्मी गणेश की आकर्षक मिट्टी की मूर्तियां 80 रुपये से 180 रुपये तक
मिट्टी के दिए एक सौ रुपये में 100
बड़ा दीया 10 रुपये
कलश 10 रुपये
दीपक वाली गुड़िया 80 रुपये
दीपक का झूमर 150 रुपये