जमशेदपुर: दो लाख की आबादी पर एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और वो भी एक डॉक्टर के सहारे चल रहा है. इस कारण लोगों को परेशानी हो रही है. बता दें कि आठ साल के बाद भी 30 बेड का अस्पताल नहीं चालू हो सका. जिसके अभाव में इलाज के लिए आए मरीजों को बैरंग लौटने को मजबूर होना पड़ता है. वहीं, हर दिन सैंकड़ों लोग इलाज कराने आते हैं.
सरकारी अस्पताल की हालत बदहाल लौहनगरी के जुगसलाई स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की जहां सिर्फ एक डॉक्टर के सहारे लाखों की आबादी टिकी है और यहां चार करोड़ रुपए की लागत से 30 बेड का अस्पताल बनना था, लेकिन यह अब तक नहीं बन पाया है. ईटीवी भारत की टीम ने सामुदायिक अस्पताल का मुआयना किया तो यहां एक डॉक्टर ओपीडी में मिले. वहीं, संसाधनों के अभाव के कारण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हर दिन दम तोड़ रही चिकित्सक सेवा. डॉक्टरों के अभाव के कारण यहां महिला और प्रसूति विभाग में भी इलाज सही से नहीं हो पाता है. डॉक्टरों की संख्या भी ना के बराबर है.
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार प्रति एक हजार नागरिकों पर दो या तीन चिकित्सक होने चाहिए. इसी तरह पूर्वी सिंहभूम में जनसंख्या के अनुसार स्वास्थ्य केंद्र की हालत बेहद खराब है. वहीं, 22 लाख की आबादी वाले पूर्वी सिंहभूम में 9 सीएचसी,18 पीएचसी और 244 हेल्थ सब्सेन्टर है. जबकि 4 हजार145 की जनसंख्या पर एक स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए.
जानकारी के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग झारखंड सरकार के रूरल हेल्थ स्टैटिस्टिक्स के अनुसार पांच हजार जनसंख्या वाले क्षेत्र में 2.54 किलोमीटर पर और चार कस्बों के अनुरूप एक हेल्थ सब्सेन्टर होनी चाहिए. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाज और दवा इन सबकी कमी अक्सर होती है. डॉक्टरों की कमी के कारण सुदूर क्षेत्र के लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. आपाताकाल स्थिति में मरीजों के लिए एक बेड की व्यवस्था भी नहीं है. छोटी-मोटी बीमारियों के लिए भी दूसरे अस्पातल में रेफर कर दिया जाता है.