हजारीबागः जिला में 13सौ से अधिक छोटे-बड़े गांव हैं. इनमें से एक गांव ऐसा है, जो दूसरे गांव से इसकी पहचान अलग बनाता है. हम बात कर रहे हैं सदर प्रखंड के अमनारी गांव (Amanari Village) की, जहां के पूर्वजों (Ancestors) ने गांव के लिए ऐसा नियम बनाया है, जो इस गांव को दूसरों के लिए मिसाल और खुद को आदर्श गांव (Model Village) बनाता है.
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जब हम किसी गांव को आदर्श गांव (Model Village) कहते हैं तो हमारे मन में कई बातें सामने आती हैं. जैसे रोजगार, अच्छी सड़कें, बिजली-पानी, नाली की व्यवस्था के साथ-साथ तमाम बुनियादी सुविधाएं (Infrastructure) मौजूद होंगी. अगर ऐसा गांव जहां यह सारी सुविधा हो इसके अलावा कुछ अलग कायदे-कानून (Rules and regulations), नियम हों तो वो उस गांव अपनी अलग पहचान बनती है.
हजारीबाग में सदर प्रखंड का अमनारी गांव (Amanari village of Sadar block) 100 साल से भी अधिक पुराना है, पर यहां आज भी शराब (Wine) नहीं बनाई जाती है. अगर कोई व्यक्ति शराब बनाते हुए पकड़ा जाता है तो पंचायत उसे सजा देती है. 100 साल पहले यह नियम बनाया गया था, जो आज तक कायम है और कोई इस नियम के विरूद्ध नहीं गया. ग्रामीण भी बताते हैं कि हमारे पूर्वजों (Ancestors) ने जो नियम बनाया है हम लोग उसे आगे बढ़ा रहे हैं.
यही नहीं इस गांव में बाहर से आए व्यक्ति को किराए का मकान भी नहीं मिलता है. गांव के लोग मानते हैं कि अगर बाहर के लोग यहां आ गए तो गांव का माहौल खराब हो जाएगा. इस कारण हम लोग यहां किराए पर मकान भी नहीं देते हैं. इस गांव में आज तक सांप्रदायिकता (Communalism) को लेकर कोई लड़ाई नहीं हुई, 50% हिंदू (Hindu) और 50% मुस्लिम (Muslim) आबादी होने के बावजूद कभी-भी किसी बात को लेकर विवाद नहीं हुआ. यहां के लोग एक साथ रामनवमी (Ramnavami) मनाते हैं और उसी शिद्दत के साथ मोहर्रम का जुलूस (Muharram procession) भी निकालते हैं.
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गांव के लोग बताते हैं कि 100 साल पहले ही हमारे पूर्वजों ने नियम बनाया था. अगर उस नियम पर गौर करेंगे तो समझ में आएगा कि हम लोग शुरू से नशा विरोधी (Anti drug) हैं. जब यहां आस-पास जंगल हुआ करता था और शहर जाने के लिए हमारे पास कोई साधन भी नहीं था. ऐसे में गांव में ही शराब बनाई जाती थी, लोग यहां शराब का सेवन करते और फिर गलत आचरण भी देखने को मिलता. अब ये गांव शराब से कोसों दूर है. अगर किसी को शराब पीने की इच्छा होती है तो उसे गांव से कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है, ऐसे में दूरी के कारण भी लोग शराब से ही किनारा कर लिया.
100 वर्ष पूरा कर चुके निर्मल यादव इस गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं. वो कहते हैं कि हमारे गांव के आसपास कई महुआ के पेड़ हैं, लोग महुआ चुनते हैं और शहर जाकर बेच देते हैं. लेकिन गांव में शराब नहीं बनाते, अगर कोई बनाता है तो हम लोग उसका विरोध करते हैं, सजा देते हैं, क्योंकि हम हमेशा से शराब विरोधी हैं. वासुदेव पासवान कहते हैं कि हमारे पूर्वजों ने देखा था कि गांव में शराब बन रही थी और शराब पीने के बाद लोग हंगामा कर रहे थे. ऐसे में उन्होंने शराब की भट्ठी (Wine furnace) ही तोड़ दी. उसी दिन गांव के लोगों ने फैसला किया कि हम ना शराब पीएंगे और ना ही हमारे गांव में शराब बनाई जाएगी.
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गांव में अगर शराब ही नहीं बनेगा तो लोग पीएंगे भी नहीं. ऐसे में यह गांव आदर्श प्रस्तुत करता है, अमनारी गांव को देखकर हमें भी बदलाव की जरूरत है. हम सुनते हैं कि गांव में शराब पीने से लोगों की मौत हो जाती है. आज तक इस गांव में शराब से किसी की मौत नहीं हुई. अमनारी गांव की इस खासियत से अन्य गांवों को भी सीख लेने की दरकार है. जिससे आने वाले वक्त में हर गांव-हर कस्बा आदर्श हो, मिसाल हो.