हजारीबाग: पूरे देश भर में नागरिक संशोधन कानून को लेकर विरोध प्रदर्शन और समर्थन को लेकर कई कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है. अलग-अलग संगठन अपने तरह से विरोध कर रहे हैं तो कुछ संगठन इसके पक्ष में भी अपनी बातें रख रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग में राष्ट्रीय जन चेतना मंच की ओर से नागरिक संशोधन कानून के पक्ष में विशाल सभा का आयोजन किया गया.
पूरे देश भर में नागरिक संशोधन बिल को लेकर एक तरफ जहां धरना प्रदर्शन और विरोध चल रहा है तो वहीं कई जगह पर इस कानून को लेकर समर्थन में सभाएं भी की जा रही हैं. इसी कड़ी में हजारीबाग के कर्जन ग्राउंड स्टेडियम में राष्ट्रीय जन चेतना मंच की ओर से नागरिक संशोधन कानून के पक्ष में एक दिवसीय सभा का आयोजन किया गया. इस सभा में बतौर मुख्य अतिथि हिंदू जागरण मंच के क्षेत्रीय महामंत्री डॉ. सुमन कुमार, पूर्व डीजीपी डीके पांडेय के साथ-साथ सदर और मांडू के विधायक के अलावा भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया.
पूर्व डीजीपी डीके पांडेय ने कहा कि इस कानून में किसी की नागरिकता नहीं जाएगी बल्कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिक तौर से पीड़ित गैर मुस्लिमों को भारत में नागरिकता देने का प्रावधान है, जबकि बतौर मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे डॉ. सुमन ने कहा कि यह कोई नया कानून नहीं है बल्कि इसमें संशोधन किया गया है. कांग्रेस सीएए को लेकर राजनीतिक हवा दे रही है और देश के अंदर भ्रम पैदा करते हुए लोगों के बीच आपसी द्वेष बढ़ाने का काम कर रही है.
उन्होंने मंच से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री भी कड़े प्रहार किए और कहा कि वह भी अपने राज्य में भ्रम पैदा कर रही हैं. इसके साथ ही साथ उन्होंने वाम दलों के द्वारा किए जा रहे विरोध प्रदर्शन पर भी सवाल खड़ा किए हैं. उन्होंने कहा कि आजादी हमें 73 साल पहले मिल चुकी है, लेकिन अब यह लोग आजादी की बात क्या कह रहे हैं. इससे उनका इरादा साफ नहीं दिख रहा है. जरूरत है अब पूरे समाज को एकजुट होने की.
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कौन हैं डॉक्टर सुमन
डॉ. सुमन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक हिंदू जागरण मंच झारखंड बिहार क्षेत्रीय संगठन मंत्री हैं, जिनका पूरा नाम डॉक्टर रोबर्ट सालोमन है. जो इंडोनेशिया जकार्ता के रहने वाले हैं. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी लंदन से पास आउट होने के बाद 1987 तक चर्च और मिशनरियों के पादरी के नाते कार्य करते रहें. धर्मांतरण मे संलग्न रहे 1987 में राष्ट्रीय स्वयं संघ को देखने और समझने और गतिविधियों को जानने के लिए इन्हें भारत भेजा गया. इन्होंने यहां संघ को समझा और बाद में पादरी का पद त्याग दीया.