हजारीबाग: बेमौसम बरसात ने किसानों की कमर तोड़ दी है. हजारीबाग कृषि प्रधान जिला है. यहां के किसानों के पैदा किए गए फसल महानगरों तक पहुंचता है. लेकिन इस बार किसान भी परेशान हैं और इसका असर बाजारों पर भी पड़ेगा. पिछले साल इचाक प्रखंड ने आलू की पैदावार में रिकॉर्ड बनाया था. लगभग एक अरब रुपये का आलू यहां से बिका था. लेकिन इस बार मौसम ने किसानों के पैदावार पर खलल डाला है. किसानों की मानें तो इस बार अगर 10 से 15% भी आलू हो जाए तो बहुत है.
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साल 2021 में बरसात ने हर एक व्यक्ति के जीवन को प्रभावित किया है. अच्छी बारिश होने से धान की फसल तो बंपर होने की उम्मीद है. लेकिन बेमौसम बरसात ने आलू की खेती पर गहरा प्रभाव डाला है. हजारीबाग इचाक प्रखंड खेती के लिए जाना जाता है. जहां पटवन की उचित व्यवस्था और जागरूक किसानों के होने से तीन फसल होते हैं. यहां की अधिकतर आबादी खेती से ही जुड़ी है. लेकिन इस बार बेमौसम बरसात ने किसानों के पैदावार पर खलल डाला है. खासकर आलू की फसल बर्बाद हो गई है. पिछले साल यहां करोड़ों रुपये का आलू बिका था.
बाजारों पर पड़ेगा असर
हजारीबाग से कई राज्यों में आलू जाता है और किसान भी उपज के साथ-साथ अच्छा बाजार मिलने से खुश होते हैं. लेकिन इस साल किसान अपनी पूंजी भी वापस नहीं ला पाएंगे. किसानों की मानें तो 10 से 15% ही अगर आलू हो जाए तो बहुत होगी. आलू खराब होने का असर बाजार पर भी पड़ेगा. आम जनता को अधिक मूल्य में आलू खरीदना पड़ेगा. यही नहीं महानगर के बाजारों पर भी इसका असर दिखेगा.
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किसानों पर बढ़ रहा आर्थिक बोझ
किसानों का कहना है कि हमलोगों का फसल खराब होने से आर्थिक बोझ भी पड़ेगा. फसल बीमा का प्रावधान भी नहीं होने के कारण परेशानी है. किसानों का कहना है कि फसल खराब होने की जानकारी ब्लॉक से लेकर जिलास्तर के अधिकारियों को दी गई है. लेकिन कोई भी पदाधिकारी ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई और ना ही आश्वासन मिला. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसानों को आय दोगुनी करने को लेकर आश्वासन भी दिए हैं. लेकिन उस आश्वासन का प्रतिफल नहीं दिखता है. वहीं राज्य सरकार ने भी कई बार अस्वस्थ किया है कि फसल खराब होने पर उचित मुआवजा मिलेगा. लेकिन यह घोषणा तक ही सीमित रह जाती है. पिछले साल टमाटर और तरबूज की भी खेती बर्बाद हो गई और किसानों को मुआवजा भी नहीं मिला.