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कोरोना को चुनौती मान आगे बढ़ रहे दिव्यांग, ऑनलाइन शिक्षा बन रहा वरदान

हर वर्ष 3 दिसंबर को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस मनाया जाता है. इस दिन का मकसद है दिव्यांगों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाना और उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करना. इस साल कोरोना के कारण वृहत पैमाने पर दिव्यांग दिवस तो नहीं बनाया गया, लेकिन आज आपको हम कुछ ऐसे दिव्यांगों से मिलाने जा रहे हैं जिनके हौसले को देखकर आप भी उनके जज्बे को सलाम करेंगे.

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अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस

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Published : Dec 3, 2020, 8:18 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 9:54 PM IST

हजारीबाग: इतनी शक्ति हमें देना दाता... मन का विश्वास कमजोर ना हो... कुछ इसी सोच के साथ हजारीबाग में दिव्यांग साथी अपने आप को सशक्त करने का मन बना लिए हैं. नेत्रहीन बच्चे अब अन्य बच्चों की तरह खुद को समाज में स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं, जहां कोरोना के कारण स्कूल कॉलेज बंद है. ऐसे में पढ़ाई भी बाधित हो रही है. दिव्यांग बच्चे भी पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग में नेत्रहीन दिव्यांग बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा है ताकि वह पढ़ाई में पीछे न रहे. छात्र अन्य छात्रों की तरह लैपटॉप स्मार्टफोन एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक गैजेट के जरिए पढ़ाई कर रहे हैं ताकि वह शिक्षा के क्षेत्र में पीछे नं रहें. उनके शिक्षक भी कहते हैं कि बच्चों को पूरी लगन के साथ पढ़ा रहे हैं.

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बच्चों को दिया जा रहा प्रशिक्षण

साइटसेवर एवं झारखंड शिक्षा परियोजना के संयुक्त तत्वाधान में झारखंड समावेशी शिक्षा का शुभारंभ इस परियोजना को पूरे ओरेकल के सहयोग से झारखंड के 5 जिलों में संचालित किया जा रहा है. इसके अंतर्गत सरकारी विद्यालय और महाविद्यालय में पढ़ने वाले दृष्टिबाधित छात्र और छात्राओं को सूचना एवं संचार तकनीक के माध्यम से पठन-पाठन की सुगम बनाने की व्यवस्था की जा रही है. इसके अंतर्गत राज्य में संसाधन केंद्र दुमका, हजारीबाग में व्यवस्था की गई है. संसाधन केंद्रों में दृष्टिबाधित बच्चों के साथ-साथ विद्यालय के शिक्षकों, बच्चों के परिजन और समुदाय के सदस्यों के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है. प्रशिक्षण के अंतर्गत बच्चों को मोबाइल, डेजी प्लेयर, कंप्यूटर और ब्रेल की प्रशिक्षण दी जा रही है.

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दिव्यांग अभिशाप नहीं वरदान

वहीं, उनकी शिक्षिका भी करती हैं कि दिव्यांगता अभिशाप नहीं है, बल्कि यह वरदान साबित हो सकता है. जरूरत है खुद को सशक्त करने की. ऐसे में हमारे बच्चे बहुत अच्छा पढ़ाई कर रहे हैं. इनमें से कई बच्चे हैं जो विभिन्न स्कूलों में पढ़ाई करते हैं. वहीं, एक छात्रा इंटर की भी पढ़ाई कर रही है. उन बच्चों को सिलेबस के अनुरूप हम लोग पढ़ा रहे हैं ताकि जब पढ़ाई सामान्य हो तो उन्हें समस्या ना हो. शिक्षा पाने वाली छात्रा कहती हैं कि मुझे बड़ा होकर शिक्षिका बनना है ताकि मैं अन्य दिव्यांग बच्चों को पढ़ा सकूं और उन्हें अन्य बच्चों की भाती समाज में स्थापित कर सकूं. उनका कहना है कि हम किसी से कम नहीं हैं. भले ही हमारी आंखें नहीं है, लेकिन आज मैं सामान्य बच्चों की तरह पढ़ाई कर रही हूं. जरूरत है सिर्फ और सिर्फ आत्मविश्वास की.

Last Updated : Dec 3, 2020, 9:54 PM IST

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