झारखंड

jharkhand

नेत्रहीन दिव्यांग बच्चे खुद को कर रहे अपडेट, इलेक्ट्रॉनिक उपकरण का इस्तेमाल कर बढ़ रहे आगे

By

Published : Feb 4, 2021, 11:58 AM IST

हजारीबाग में नेत्रहीन दिव्यांग बच्चे खुद को अपडेट करने की कोशिश कर रहे हैं. बच्चों के हाथ में अब कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं, जिसके जरिए वे आपस में प्रतियोगिता भी कर रहे हैं. इससे प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न तो होगी ही. साथ ही बेहतर प्रदर्शन के लिए बच्चे कड़ी मेहनत करेंगे.

Blind children are using electronic equipment
डिजाइन इमेज

हजारीबाग: आज के समय में हर कोई खुद को अपडेट कर रहा है और डिजिटल दुनिया की ओर प्रवेश कर रहा है. भारत सरकार ने भी बजट में डिजिटल करने पर विशेष ध्यान दिया है लेकिन अब आपको जानकर आश्चर्य होगा कि नेत्रहीन दिव्यांग बच्चे भी खुद को डिजिटल बनाने की कोशिश कर रहे हैं. आलम यह है कि बच्चों के हाथ में मोबाइल फोन, लैपटॉप समेत कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं, जिसके जरिए वे आपस में प्रतियोगिता भी कर रहे हैं.

देखें पूरी खबर

'हम किसी से कम नहीं' कुछ इसी सोच के साथ यह नेत्रहीन दिव्यांग बच्चे आज के समाज को टक्कर देने की तैयारी में जुट गए हैं. भले ही दुनिया के रंग से अनभिज्ञ हों ये बच्चे लेकिन अब खुद को अपडेट करने की कोशिश कर रहे हैं. आपस में ही प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जा रहा है ताकि छात्रों में प्रतिस्पर्धा की क्षमता बढ़े. पदाधिकारी बताते हैं कि आज के समय में छात्र समय के साथ-साथ चलने की कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में यह दिव्यांग बच्चे पीछे ना रह जाए इसे देखते हुए प्रतियोगिता कार्यक्रम आयोजन किया गया है. जिसमें बच्चे इलेक्ट्रॉनिक गजट के जरिए आपस में प्रतियोगिता कर रहे हैं ताकि इनके बीच स्पर्धा की भावना आए और ये भविष्य में अच्छा कर सकें.

ये भी पढ़ें-सरकार के नए स्क्रैप पॉलिसी से ऑटोमोबाइल सेक्टर में जगी आस, प्रोडक्शन में आएगा उछाल

छात्र भी कहते हैं कि वे लोग यहां प्रतियोगिता करने आए हैं. मोबाइल फोन, लैपटॉप, ब्रेल लिपि समेत अन्य माध्यम के जरिए प्रतियोगिता किया जा रहा है, जिसमें लोग सवालों का जवाब दे रहे हैं. उनका कहना हैं कि उन्हें काफी मजा भी आ रहा है. बच्चे चाहते हैं कि वे भविष्य में बड़े पदाधिकारी बने और समाज की सेवा कर सकें. छात्र कहते हैं कि इस तरह का कार्यक्रम का आयोजन हमेशा होना चाहिए.

नेत्रहीन दिव्यांग बच्चों को उनके ही पैर पर खड़ा करने के लिए अंतरराष्ट्रीय संगठन साइट सेवर भी काम कर रही है. साइट सेवर के पदाधिकारी भी कहते हैं कि हम लोग कोशिश करते हैं कि नेत्रहीन बच्चों को मुख्यधारा में ला सकें और अन्य बच्चों और इनके बीच किसी भी तरह की विषमता ना रहे. इस बाबत उन्होंने सोचा है कि इनके बीच प्रतियोगिता की भावना उत्पन्न कराया जाए. इसे देखते हुए प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. सबसे महत्वपूर्ण बात है कि छात्र-छात्राएं इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं और उनके माता-पिता भी बच्चों को लेकर आए हैं.

जब छात्रों के बीच प्रतिस्पर्धा की भावना उत्पन्न होगी तो इसके परिणाम भी अच्छे आएंगे. नेत्रहीन बच्चे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण के माध्यम से खुद को अपडेट भी कर रहे हैं. यह अच्छे संकेत भी माने जा सकते हैं. जरूरत है इनके मनोबल को ऊंचा करने की.

ABOUT THE AUTHOR

...view details