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पारा टीचरों का धरना-प्रदर्शन, सरकार पर लगाया वादाखिलाफी का आरोप

पांच सूत्री मांगों को लेकर पारा टीचर फिर से आंदोलन के मूड में हैं. उनमें सरकार के प्रति नारजगी है. पारा शिक्षकों का कहना है कि सरकार अपने वादों से मुकर रही है. उनके हित में काम करने के बदले, उन्हें बेवजह परेशान किया जा रहा है.

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Published : Jul 7, 2019, 9:36 AM IST

पारा टीचरों का धरना-प्रदर्शन

गिरिडीह/डुमरी: पारा टीचर अपनी मांगों को लेकर एकबार फिर उग्र होते नजर आ रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर इनलोगों ने जिले डुमरी प्रखंड मुख्यालय में धरना दिया. सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाया.

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पारा टीचर पहले स्थानीय केबी हाई स्कूल के मैदान में इकट्ठा हुए और वहां से जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों के साथ बार-बार वादा-खिलाफी करती रही है. तीन माह पहले पारा शिक्षकों के साथ सरकार ने जो वार्ता किया था उसका अनुपालन आज तक नहीं हो पाया है.


सरकार ने कहा था कि नियमावली बना कर 67 हजार पर शिक्षकों को समायोजन कर सम्मनजनक वेतन दिया जाएगा. लेकिन 4 माह बीत जाने के बाद भी राज्य सरकार का इस ओर कोई ध्यान नही है. वहीं पारा टीचरों को परेशान करने के लिए तरह-तरह के फरमान जारी किये जा रहे हैं.


राज्य के पारा शिक्षकों का चयन ग्राम शिक्षा समिति के द्वारा हुआ है और उसका अनुमोदन प्रखंड में हुआ और फिर जिला में हुआ है. राज्य के एक भी पारा शिक्षक को इसकी कॉपी नहीं दी गई है. आज उनलोगों से चयन और अनुमोदन की कॉपी मांगी जा रही है. राज्य के शिक्षा निदेशक उमा शंकर सिंह के द्वारा किस भावना से यह फरमान जारी किया गया है, शायद उन्हें पता नहीं है कि राज्य के पारा शिक्षक को किसी तरह की नियुक्ति पत्र नहीं दी गई, अनुमोदन के उपरांत हम सभी 17-18 वर्ष से काम कर रहे हैं.


आज राज्य के पारा शिक्षकों को हटाने की साजिश की जा रही है. कार्य में लग चुके पारा शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की जिम्मेवारी सरकार की थी. एनआईओएस के द्वारा राज्य के अप्रशिक्षित पारा शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया. लेकिन कुछ पारा शिक्षक इस परीक्षा में सफल नहीं हो सके, तो उन्हें समय न देकर तुरत हटाने का आदेश दे दिया गया है. पारा शिक्षक संघ इसकी निंदा करता है और पारा शिक्षकों का फरवरी से मानदेय रुका हुआ है. मानदेय भुगतान नहीं होने के कारण लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं.

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