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11 वर्षों में भी नहीं बन सकी स्कूल की दो मंजिला इमारत, बरामदे में चल रही है बच्चों की क्लास

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Published : Jul 3, 2022, 5:18 PM IST

Updated : Jul 4, 2022, 8:30 AM IST

बेहतर शिक्षा के लिए व्यवस्था को भी दुरुस्त करना जरुरी है. क्लास रूम के साथ साथ अन्य तरह की सुविधा भी बच्चों को चाहिए. ऐसे कई स्कूल हैं जहां पर क्लास रूम की कमी है. कइ जगह तो भवन की राशि को ही डकार लिया गया है. ऐसी ही कुव्यवस्था गिरिडीह समाहरणालय के ठीक पीछे स्थित सरकारी विद्यालय की है.

middle school belatand does not have building for children
middle school belatand does not have building for children

गिरिडीह: सूबे के शिक्षा मंत्री राज्य की शिक्षा व्यवस्था को उच्च स्तर का बनाने की बात कह रहे हैं. लगातार बैठकें चल रही हैं. हर अधिकारी को कहा गया है कि वे काम करें और स्कूल की व्यवस्था को हर हाल में दुरुस्त करें. लेकिन विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की लापरवाही के कारण यहां बच्चों को क्लास रूम नहीं मिल रहा है. ऐसे में बच्चे बरामदे में पढ़ने को मजबूर है.

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गिरिडीह डीसी ऑफिस के ठीक पीछे स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय बेलाटांड में बच्चों को बरामदे में पढ़ना पड़ रहा है. यहां के बच्चे पिछले एक दशक से बरामदे में पढ़ रहे हैं. वैसे यहां के बच्चों की कक्षा अलग-अलग चले इसके लिए 11-12 वर्ष पहले ही सरकार की तरफ से व्यवस्था की गई थी. दो मंजिला इमारत स्वीकृत की गई. भवन की ढलाई भी हो गई लेकिन निर्माण पूर्ण नहीं हो सका. स्थानीय लोगों का साफ तौर पर आरोप है कि भवन निर्माण में गड़बड़ी हुई है और पैसों का बंदरबांट हुआ है. महेशलुंडी पंचायत के मुखिया शिवनाथ साव का कहना है कि स्कूल के पूर्ण नहीं होने के पीछे जो भी दोषी हैं सभी पर कार्रवाई होनी चाहिए. इसी तरह की मांग स्थानीय कन्हैया सिंह, जगत पासवान, गोपाल शर्मा भी कर रहे हैं.

गिर गया पुराना भवन: दूसरी तरफ विद्यालय का पुराना और जर्जर भवन भी ध्वस्त हो गया है. 01 जुलाई को बिल्डिंग गिरी है, हालांकि राहत की बात यह है कि जब बिल्डिंग गिरी उस वक्त स्कूल बंद था. विद्यालय के बच्चे भी कमरे की मांग कर रहे हैं. बच्चों का कहना है कि वे लोग जमीन पर बैठकर पढ़ाई करते हैं.अधिकारियों को कई बार दी गई सूचना:विद्यालय के प्रधानाध्यापक अमृत साव का कहना है कि यहां कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई तीन कमरे में ही ली जाती है. यह भी कहा कि बिल्डिंग 2009-10 का है जिसे वर्ष 2011 में ही पूर्ण होना चाहिए था. चूंकि वे इस स्कूल में 2013 में योगदान दिए हैं ऐसे में वे कह नहीं सकते की किन वजह से भवन का निर्माण पूर्ण नहीं हो सका.
Last Updated : Jul 4, 2022, 8:30 AM IST

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