जमुआ,गिरिडीहः जिला का जमुआ विधानसभा का शरीफाटांड़ गांव (Sharifaatand Village), जो आज भी बुनियादी सुविधाओं की बाट जोह रहा है. हर घर तक बिजली पहुंचाने का राज्य सरकार का दावा यहां बिल्कुल फेल नजर आ रहा है. गांव की सड़कों पर बिजली का खंभा है, उसमें तार भी दौड़ रही है, ट्रांसफार्मर भी है, अगर कुछ नहीं है तो वो है बिजली. इस वजह से जिससे शरीफाटांड़ गांव के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं.
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आजादी के सात दशक बाद भी कई गांव मूलभूत सुविधाओं की बाट जोह रहा है. गिरिडीह का शरीफाटांड़ एक ऐसा ही एक गांव है. यहां के लोग कई समस्याओं से जूझ रहे हैं. वैसे तो घर-घर बिजली पहुंचाने का दावा केंद्र से लेकर राज्य सरकार कर रही है. लेकिन अभी-भी कई गांव हैं जहां बिजली का खंभा लगा है, तार भी बिछी है, पर उसमें कई महीनों से बिजली नहीं (No Electricity) है.
गिरिडीह जिला मुख्यालय से लगभग 50 किमी दूरी पर स्थित जमुआ विधानसभा (Jamua Assembly) का शरीफाटांड़ गांव है. पक्की सड़क विहीन इस गांव के लोग असुविधाओं का दर्द समेटे हुए हैं. एक दर्द बिजली का भी है. यहां बिजली के लिए खंभा और तार तो लगा दिया गया है. घरों तक बिजली पहुंचाने के लिए ट्रांसफार्मर भी है, पर गांव के लोगों को बिजली अब तक मयस्सर नहीं है. जब इसकी पड़ताल की गई तो पता चला कि दो साल से यहां का ट्रांसफार्मर खराब है. जिसकी वजह से पूरा गांव रौशनी से महरूम है.
लालटेन-ढिबरी का सहारा
जब गांव में बिजली नहीं (No Electricty in Village) है तो निश्चित तौर पर बच्चों को ढिबरी के सहारे पढ़ाई करनी पड़ती होगी. गांव की पड़ताल में यह सच भी निकला, जिसमें पता चला कि गांव के बच्चे घरों में ढिबरी और लालटेन के सहारे पढ़ रहे हैं. बिजली ना होने से इलाके की शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है. भाजपा विधायक केदार हाजरा (BJP MLA Kedar Hazra) और केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी (Union Minister Annapurna Devi) के क्षेत्र का अगर ऐसा है तो सुदूरवर्ती गांवों की जमीनी हकीकत कैसी होगी इसका बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है.
मोबाइल चार्जिंग के लिए जाते हैं दूसरे गांवबिजली के ना होने से लोगों का आम दिनचर्या भी प्रभावित हो रही है. गांव में कई लोगों के पास मोबाइल फोन (Mobile Phone) है. लेकिन बिजली ना होने की वजह से उन्हें मोबाइल चार्ज करने में काफी दिक्कत होती है. वो अपना मोबाइल चार्ज (Mobile Charging) करने के लिए दूसरे गांव जाते हैं. वहीं अंधेरा होने पर पूरा गांव अपने घरों में दुबक जाता है. ऐसे में किसी को कोई इमरजेंसी हो तो उसे घुप्प अंधेरे में ही सफर करना पड़ता है.
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सड़क बनना जरूरी
जमुआ विधानसभा का शरीफाटांड़ गांव कई मायनों में पिछड़ा हुआ है. इस गांव में आवागमन के लिए अच्छी सड़कें नहीं है. कच्ची सड़क से ही लोग यातायात करते हैं. बरसात के दिनों में हालत और बदतर हो जाती है. ऐसा नहीं है कि गांव के लोगों ने इस बाबत अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से शिकायत नहीं की. लेकिन हर बार उनकी अर्जी को दरकिनार कर दिया गया. बिजली और पक्की सड़क से महरूम गांव वालों की मांग इतनी है कि इस गांव में अच्छी सड़क की दरकार है.
गिरिडीह के शरीफाटांड़ गांव की बदहाल सड़क