बगोदर, गिरिडीहः चुनावी गतिविधियां बढ़ गई हैं. नामांकन के बाद अपनी जीत पक्की करने के लिए सभी दल के उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरकर अपनी-अपनी बातों को जनता के बीच ले जा रहे हैं. इसके साथ ही वादे और दावे भी किए जा रहे हैं. बगोदर विधान सभा में मुख्य मुकाबला तत्कालीन विधायक नागेंद्र महतो और पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह के बीच होता दिख रहा है. बीजेपी ने नागेंद्र महतो को उम्मीदवार बनाया है जबकि भाकपा माले से विनोद कुमार सिंह चुनावी मैदान में हैं.
नागेंद्र महतो, उम्मीदवार, बीजेपी ये हैं चुनावी मुद्दे
बगोदर में विकास काम के साथ ही कुछ ज्वलंत समस्याएं हैं, जो चुनावी मुद्दो में मुख्य रूप से शामिल हैं. मुख्य चुनावी मुद्दों में बगोदर में बने पॉलिटेक्निक कॉलेज, अटका में बने आईटीआई कॉलेज, सरिया में बने बिजली पॉवर ग्रिड, बिरनी में बने डिग्री कॉलेज, 42 सालों से अधूरी पड़ी कोनार नहर सिंचाई परियोजना का चालू होना, सरिया रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज का नहीं बनना, इलाके के प्रवासी मजदूरों का विदेशों और महानगरों में हो रही मौत, जमीन अधिग्रहण की एवज में उचित मुआवजा नहीं मिलना, ट्रॉमा सेंटर का नहीं बनना, स्वास्थ्य, सड़क आदि मुख्य चुनावी मुद्दे हैं. दोनों ही दलों के उम्मीदवार इन मुद्दों पर जोर दे रहे हैं.
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विधायक का दावा
विधायक सह भाजपा उम्मीदवार नागेंद्र महतो का कहना है कि भाकपा माले के 25 सालों की तुलना में उनके 5 साल के कार्यकाल में ज्यादा विकास हुआ है. उनका कहना है कि 42 साल से अधूरी कोनार नहर को उनकी कोशिश से सरकार ने चालू किया. सरिया में पॉवर ग्रिड, बगोदर में पॉलिटेक्निक कॉलेज, बिरनी में डिग्री कॉलेज, बगोदर और बिरनी में मॉडल प्रखंड सह अंचल कार्यालय उनके कार्यकाल में बनाया गया है.
विनोद सिंह, उम्मीदवार, भाकपा माले पूर्व विधायक का दावा
पूर्व विधायक विनोद कुमार सिंह का कहना है कि बगोदर में पॉलिटेक्निक कॉलेज, अटका में आईटीआई कॉलेज, बिरनी में डिग्री कॉलेज, सरिया में पॉवर ग्रिड की स्वीकृति उनके कार्यकाल में हुई है. उनका कहना है कि 5 साल में मौजूदा विधायक इन योजनाओं को चालू कराने में भी सफल नहीं हुए. अटका में सिर्फ आईटीआई कॉलेज चालू हुआ है, मगर समस्याओं का अंबार है. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में पुल-पुलिया, सड़क आदि गिने- चुने कार्य किए गए हैं.
सरिया रेलवे फाटक पर ओवरब्रिज का निर्माण भी नहीं हो पाया. स्वीकृत ट्रॉमा सेंटर भी दूसरी विधानसभा में चला गया. 5 साल में अनुमंडल कार्यालय के लिए जमीन तक चिन्हित नहीं हो पाई है. प्रवासी मजदूरों की विदेश और महानगरों में लगातार मौत हो रही है. इसके बावजूद उनके लिए कोई नीति नहीं बनाई गई. जीटी रोड 6 लेन के प्रभावितों को उचित मुआवजे के लिए एक नीति अपनाई नहीं जा रही है. अफगानिस्तान में इलाके के 3 प्रवासी मजदूरों का अपहरण डेढ़ साल पहले हुआ. इनकी रिहाई नहीं हुई. एक मजदूर की रिहाई की बात सामने आई है, मगर वह भी घर नहीं लौटा.