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बंद पड़े खाते से पैसे निकालने की फिराक में था साइबर अपराधी, बैंककर्मियों ने ऐसे किया नाकाम - Cyber criminal

गिरिडीह में साइबर अपराधियों ने बंद पड़े खाते से पैसे निकालने की कोशिश की. इस दौरान बैंककर्मियों ने युवक की पहचान कर पुलिस को सौंप दिया. साथ ही पूछताछ के बाद पुलिस ने सहयोगी अपराधी को भी गिरफ्तार कर लिया है.

गिरफ्तार साइबर अपराधी

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Published : Oct 15, 2019, 3:54 PM IST

गिरिडीहः जिले में बेखौफ साइबर अपराधी अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं. दरअसल, आंध्र प्रदेश की पुलिस ने जिस बैंक के खाते को ब्लॉक करवाया था, अपराधी उसी खाते से पैसे की निकासी करने पहुंचा था. लेकिन समय रहते बैंक वालों ने युवक को पकड़ कर पुलिस को सौंप दिया. वहीं, मामले की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने अपराधी के साथ उसके एक अन्य साथी को भी गिरफ्तार कर लिया है. पकड़े गये आरोपियों में अहिल्यापुर थाना इलाके के कोलडीह निवासी उपेन्द्र राणा और रंजीत राणा शामिल हैं. आरोपियों के पास से पांच मोबाइल, कई बैंकों के खाते बरामद किए गए हैं.

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मामले की जानकारी देते हुए थाना प्रभारी आदिकांत महतो ने बताया कि 11 अक्टूबर को कॉरपोरेशन बैंक गिरिडीह शाखा द्वारा ब्लॉक किये गये खाते से पैसा निकालने की कोशिश करते उपेन्द्र राणा को पकड़ा गया था. जिसके बाद जांच के दौरान उपेन्द्र ने साइबर अपराध में अपनी संलिप्तता स्वीकार की और अपने सहयोगी रंजीत राणा के बारे में जानकारी दी, जिसके बाद रंजीत पकड़ा गया.

एक करोड़ से अधिक की ठगी

पुलिस निरीक्षक आदिकांत ने बताया कि उपेन्द्र राणा के कॉरपोरेशन बैंक के खाते को आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा के कृष्णालंका थाना पुलिस ने ब्लॉक करवाया है. इसी तरह इसके फिनो बैंक के खाते को भी ब्लॉक करवाया गया है. उन्होंने बताया कि वर्तमान में उपेन्द्र के मोबाइल में 2.5 लाख रुपये के ट्रांजेक्शन का डाटा मिला है.

उपेंद्र ने 15 लाख रुपये की ठगी में सहयोगी रहने की बात भी पुलिस को बतायी. वहीं, रंजीत राणा के पास से दिल्ली के सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया का एटीएम मिला है. इस खाते में रंजीत ने ठगी का 2 लाख रुपया भी प्राप्त किया है. इसके अतिरिक्त इन अपराधियों के पास से फेडरल बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, पेटीएम खाता, फिनो बैंक के खाते सहित 10 से अधिक बैंकों के खाते का डिटेल मिला है. पूछताछ में रंजीत ने बताया कि उन्होंने लगभग एक करोड़ से अधिक की ठगी की है. रंजीत ने बताया कि वह ठगी का15 प्रतिशत रखता था बाकी पैसा फिल्ड के वैसे साइबर अपराधियों को देता था जो ठगी करने का काम करते थे.

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