धनबाद: झारखंड में ठंड (Cold In Jharkhand) अपने शबाब पर है. ठंड का प्रकोप धनबाद जिले में भी काफी बढ़ा हुआ है. कंपकंपाती ठंड से हर कोई परेशान है. जिनके पास रहने के लिए घर है वे इस ठंड में अपने घरों में दुबके हुए हैं. लेकिन जिनके सिर पर छत नहीं है उनकी ठंड पूरी रात स्टेशन पर गुजर रही है. धनबाद नगर निगम (Dhanbad Municipal Corporation) अलाव की व्यवस्था करने का दावा जरूर करती है, लेकिन उन दांवों की पोल शहर में निकले ही खुल जाती है. कतरास इलाके में एक भी रैनबसेरा नहीं है. गरीब तबके के लोगों के लिए कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन (Katrasgarh Railway Station) अब रैनबसेरा बन चुका है.
नगर निगम कतरास अंचल कार्यालय के सामने ही सिर्फ अलाव की व्यवस्था है. इसके अलावा इलाके में और कहीं भी अलाव की व्यवस्था नहीं है ऐसे में गरीबों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. लोगों का कहना है कि कतरासगढ़ रेलवे स्टेशन (Katrasgarh Railway Station) के आसपास अलावा की व्यवस्था जरूर करनी चाहिए क्योंकि कतरास क्षेत्र में एक भी रैन बसेरा नहीं है. ऐसे में जो बेघर हैं वे कतरासगढ़ स्टेशन को ही रैनबसेरा बना चुके हैं. उनका कहना है कि दिन तो किसी तरह कट जाता है लेकिन रात बेहद ठंड में स्टेशन पर गुजारना पड़ता है.
ठंड से कंपकपाती जिंदगी! ना रैनबसेरा, ना अलाव की व्यवस्था, स्टेशन बना आशियाना
झारखंड में ठंड (Cold In Jharkhand) से लोगों का बुरा हाल है. जिन लोगों के पास घर है वे तो रात में अपने घरों में रहते हैं लेकिन जिनके पास घर नहीं उनके लिए ये ठंड किसी सजा से कम नहीं है. उपर से धनबाद नगर निगम (Dhanbad Municipal Corporation) ने बेघर लोगों के लिए किसी तरह की व्यवस्था नहीं कि है जिससे उनकी परेशानी और बढ़ जाती है. कड़ाके की ठंड में रात गुजारने के लिए बेघर लोगों ने कतरासगढ़ स्टेशन को ही अपना रैनबसेरा बना लिया है.
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इस मामले में कांग्रेस नेता अशोक लाल का कहना है कि निगम के अधिकारी अपने सीनियर अधिकारियों का भी आदेश नहीं मान रहें हैं. इतनी ठंड में भी अलाव की व्यवस्था नहीं की गई है. सिर्फ खानापूर्ति के लिए निगम कार्यालय के सामने अलावा की व्यवस्था है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों के उदासीन रवैये की वजह से कतरास क्षेत्र में एक भी रैनबसेरा नहीं है. वहीं नगर आयुक्त का कहना है कि नागरिकों के लिए क्षेत्र में अलाव की व्यवस्था की जा रही है. जो लोग सड़क पर मिलते हैं, उन्हें आश्रय गृह ले जाया जाता है. समय-समय पर निरीक्षण भी किया जाता है.