देवघरः बदलते भारत में महिलाएं भी अपनी जीवनशैली बदल रही हैं. घर की चौखट से आगे निकलकर आत्मनिर्भर बन रही हैं. शहर हो या गांव महिलाएं अपनी अपने पैरों पर खड़ी होकर परिवार की जिंदगी संवार रही हैं. बाबानगरी की महिलाएं रेशम से अपनी जिंदगी को रेशमी बना रही हैं.
देवघर में SILK से महिलाओं की जिंदगी हुई 'रेशमी', गुमनामी से निकल बना रहीं अपनी खास पहचान - देवघर
महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बंदिशों को तोड़कर वो कामयाबी के आसमान में उड़ रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं बाबानगरी के शिल्पग्राम में. झारक्रफ्ट के माध्यम से लगभग 6 सौ महिलाएं प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
महिलाएं तेजी से हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. बंदिशों को तोड़कर वो कामयाबी के आसमान में उड़ रही हैं. ऐसी ही कुछ महिलाएं हैं बाबानगरी के शिल्पग्राम में. झारक्रफ्ट के माध्यम से लगभग 6 सौ महिलाएं प्रशिक्षण लेकर आत्मनिर्भर बन चुकी हैं.
महिलाएं अपने घर का कामकाज निपटाने के बाद तसर से धागा निकालने का प्रशिक्षण लेती हैं. ट्रेनिग ले रही महिलाओं का उत्साह भी देखते ही बनता है. उनकी आंखों की चमक और चेहरे पर छाई मुस्कान भविष्य की उस कहानी को बयां करने के लिए काफी है. ये महिलाएं खुद तो सीख ही रही हैं, साथ ही स्वरोजगार की ओर कदम भी बढ़ा रही हैं. इसके अलावा दूसरी महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बनने के लिए प्रेरित कर रही हैं.