देवघर: आज सावन की पांचवीं और अंतिम सोमवारी है, साथ ही सावन पूर्णिमा भी है. सावन में सोमवार का विशेष महत्व होता है. आज ही के दिन बाबा मंदिर में लाखों की संख्या में भक्तों का तांता लगी रहता था, लेकिन इस बार कोरोना के कारण मेला नहीं लगा है. इस बार भक्तों के लिए सिर्फ ऑनलाइन दर्शन की ही व्यवस्था की गई है. मान्यताओं के अनुसार सावन में ही देवी देवताओं का समुद्र मंथन हुआ था और प्रत्येक सोमवारी को एक रत्न की प्राप्ति हुई थी. आज पांचवीं सोमवारी को पांचजन्य (शंख) का अभिर्भाव हुआ था. जिसे भगवान विष्णु ने अपने पास रखा था और आज बाबा भोले को गंगा जल, बेलपत्र, दूध से पूजा अर्चना करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.
आज सावन की अंतिम सोमवारी के साथ साथ रक्षा बंधन भी है. जानकारों की माने तो रक्षा बंधन सतयुग से चला आ रहा है. जब राजा बलि के दरबार में भगवान विष्णु गए और तीन पग जमीन मांगी जिसमें एक पग में ब्रह्मांड नापे दूसरा पग में पृथ्वी नापे तभी राजा बलि समझ गए कि यह अद्भुत महिमा भगवान विष्णु ही कर सकते हैं. ऐसे में राजा बलि को अहसास हो गया, तभी तीसरे पग में अपना मस्तक दे दिए. जिससे भगवान विष्णु बलि से काफी प्रसन्न हो गए थे. बलि राक्षस कुल में भी धार्मिक थे तभी राजा बलि ने भगवान विष्णु से रक्षा की मिन्नत की. भगवान विष्णु ने राजा बलि को रक्षा सूत्र बांध दिया. इसी समय से ही रक्षा बंधन की शुरुआत हुई है. बहन अपनी भाई को राखी बांधती है और बहन भाई से रक्षा की अपेक्षा रखती है.