देवघर: आज सावन की दूसरी सोमवारी है. आज के दिन बाबाधाम में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ देखने को मिलती थी. 10 से 12 हजार की संख्या में पुलिस पदाधिकारियों की तैनाती की जाती थी लेकिन कोरोना संक्रमण को लेकर इस बार बाबा मंदिर में श्रावणी मेला नहीं लगा है. जिससे आज बाबा मंदिर सहित कांवरिया पथ बिल्कुल वीरान हो गया है.
फिलहाल, बाबा मंदिर में सिर्फ सीमित पुरोहित ही बाबा भोले की सुबह-शाम पूजा और श्रृंगार करते हैं. कहा जाता है कि कलियुग में शिव की पूजा अर्चना करने से मुक्ति मिलती है. शिव 108 नामों से जाने जाते हैं. श्रावण मास में ही समुद्र मंथन हुआ था और हर सोमवारी को विशेष रत्नों की प्राप्ति हुई थी. सावन की दूसरी सोमवारी को एरावत हाथी की मंथन से निकला था और आज के दिन बाबा भोले की जल, बेलपत्र और दूध से पूजा-अर्चना की जाती है. इससे लोग स्थिरता के साथ-साथ धन-धान्य से परिपूर्ण होते हैं, क्योंकि हाथी स्थिरता का प्रतीक है. कहते हैं कि जो भी मनुष्य विचलित रहते हैं उनके लिए आज का दिन शिव का है.