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मानसून की बेरुखी से अन्नदाता परेशान, धान का बिचड़ा बचाने में जुटे हैं किसान

बारिश के अभाव के कारण खेतों में बोये गये धान के बिचड़े झुलसने लगे हैं. जब बिचड़े ही नहीं रहेंगे, तो फिर धान की रोपाई कैसे संभव हो पायेगी. इस बात की चिंता किसानों को सताने लगी है और किसान बारिश होने का इंतजार कर रहे हैं.

मानसून की बेरुखी

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Published : Jul 19, 2019, 10:16 PM IST

देवघर/मधुपुर:मानसून की बेरुखी से किसानों में मायूसी छाने लगी है. वर्षा नहीं होने के कारण कृषि कार्य ठप पड़ गये हैं. बारिश नहीं होने से कुआं, तालाब, नदी सब सूख चुके हैं. किसान अपने खेतों में धान का बिचड़ा डाल चुके हैं, अब उसे बचाने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं.

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किसान धान के पौधों को बचाने के लिए कुआं से पानी लाकर पटवन कर रहे हैं, ताकि उनको बचाया जा सके. बारिश नहीं होने के कारण किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ-साफ दिखाई दे रही हैं.


किसान धीरू मंडल का कहना है कि खेती करना तो दूर की बात है, धान का बिचड़ा बचाने के लिए कुआं से पानी लाना पड़ रहा है. अगर किसी तरह बिचड़ा बच जाता है तो धान की फसल लगाने के लिए बारिश का इंतजार करना पड़ता है.

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बता दें कि यहां के किसान सिर्फ धान के फसल पर निर्भर है. ऐसे में बारिश नहीं होने से किसान हताश नजर आ रहे हैं. किसान बारिश के इंतजार में अपने खेतों की जुताई कर रहे हैं, ताकि बारिश होने पर फसल लगा सके.

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