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41 साल बाद फिर से शुरू हुई पार्वती मंदिर में महाआरती, जानें क्या है महत्व

सावन महीना यानी शिव का महीना. भगवान शिव की पूजा करने झारखंड समेत कई राज्यों के लोग देवघर पहुंचते हैं. इस दौरान भक्त जलाभिषेक के साथ महाआरती करते हैं. महाआरती देवघर में कुछ वर्षों बाद शुरू हुई है. पार्वती मंदिर में वर्षों बाद ये पुरानी परंपरा फिर से शुरू की गई है.

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Published : Aug 2, 2019, 3:58 PM IST

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देवघर: बाबा मंदिर में कई ऐसी परंपरा रही है जो अन्य मंदिरों से भिन्न है. कांवरिए अपनी यात्रा पूरी तरह से सम्पन्न करने के लिए आरती करते हैं. ये आरती काफी फलदायी होती है. इसमें भक्त कपूर से आरती कर बाबा भोले से यात्रा के दौरान भूलवश हुई गलतियों का क्षमा याचना करते हैं.

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लगभग 41 सालों बाद एक बार फिर कुछ वर्षों से पंडा धर्मरक्षणी सभा ने पार्वती मंदिर के चबूतरे पर महाआरती का कार्यक्रम शुरू कर दिया है. पुरोहितों की मानें तो ऐसी विधान के साथ आरती कहीं नहीं होती है. कुछ ही वर्षों पहले इस परंपरा की शुरुआत की गई है. शास्त्रों में कहा गया है कि किसी भी तरह की पूजा सम्पन्न तभी मानी जाती है जब आरती की जाती है.

महाआरती का महत्व
बाबाधाम में भक्त जब अपनी यात्रा पूरी कर लेते हैं तो जलाभिषेक के बाद भक्त भोलेनाथ शिवशंकर और माता पार्वती की आरती करते हैं. इस आरती का बड़ा ही महत्व है. हर दिन लाखों की संख्या में भक्त बाबाधाम आते हैं और पूजन के बाद मंदिर प्रांगण में बाबा की आरती करते हैं आरती का दृश्य काफी मनमोहक होता है. खास कर जब शाम की बेला होती है और बाबा मंदिर आरती के धुएं से नहाया होता है तो ये दृश्य काफी मनमोहक होता है. शाम के वक्त सबसे ज्यादा आरती होती है और हर तबके के भक्त इसमें शामिल होते हैं. कपूर की सुगंध से पूरा परिसर सुगंधित ओर भक्तिमय माहौल हो उठता है.

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बहरहाल, भक्तों की यात्रा का ये प्रमुख पूजन माना जाता है. जब भक्त सुलतानगंज से जल उठाते हैं तो वहां पहले कावर की पूजा की जाती है और आरती के बाद ही कावर उठाते हैं. उसके बाद रास्ते में भी जब कावर रखने के बाद कावर उठाते है तो आरती की जाती है जो परंपरा काफी पुरानी है.

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