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कोरोना वायरस: ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर 'नो एंट्री' का लगाया बोर्ड, बाहरी लोग नहीं कर सकते प्रवेश

कोरोना की मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी होता देख चाईबासा जिले के कई गांवों में बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. वहीं, ग्रामीणों ने प्रवेश द्वार पर नो एंट्री का तख्त लटकाया है. साथ ही कहा कि कोई बाहरी लोग गांव के अंदर नहीं आ सकते.

Villagers put up 'no entry' board at village entrance gate in chaibasa
ग्रामीणों ने गांव के प्रवेश द्वार पर 'नो एंट्री' का लगाया बोर्ड

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Published : Apr 6, 2020, 4:56 PM IST

चाईबासा: वैश्विक महामारी बनकर उभरा कोरोना वायरस से पश्चिम सिंहभूम जिले में शहरी क्षेत्र ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र के लोगों में भी कोरोना वायरस का खौफ देखने को मिल रहा है. जिसे लेकर ग्रामीणों ने अपने गांव में ही बैठक कर सतर्कता बरतते हुए बाहरी लोगों का अपने गांव में प्रवेश करने पर रोक लगाने का निर्णय लिया है. जिसे लेकर ग्रामीणों ने अपने गांव के प्रवेश द्वार पर नो एंट्री का बोर्ड लगा दिया है.

जिले के कई गांवों के ग्रामीणों ने कोरोना वायरस संक्रमण से गांव को बचाने के लिए गांव के प्रवेश द्वार पर बांस से बैरिकेडिंग कर दिया है. पाताहातु गांव के ही मुंडा और मानकी के साथ सोशल डिस्टेंसिंग मेंटेन करते हुए बैठक कर यह निर्णय लिया कि बाहरी लोगों को गांव में बिल्कुल भी प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा. चाहे वे अपने ही गांव के ग्रामीण हो अगर दूसरे राज्य में नौकरी करते हो और इस दौरान वे गांव में आना चाहते हैं तभी उन्हें गांव के बाहर बनाए गए घर में 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन किया जाएगा, उसके बाद ही गांव में उन्हें प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.

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वहीं, गांव के ग्रामीणों ने बैरिकेडिंग में एक तख्ती लटका कर साफ-साफ लिख दिया है कि 'लॉकडाउन तक बाहरी लोगों का गांव में प्रवेश निषेध है'. गांव में कोई बाहरी लोग प्रवेश ना करें इसके लिए गांव के ही ग्रामीणों ने आपसी समन्वय स्थापित कर पहरेदारी भी कर रहे हैं. पहरेदारी कर रहे ग्रामीण ने बताया कि लॉकडाउन खत्म होने तक बाहरी लोगों को गांव में बिल्कुल भी प्रवेश नहीं करने दिया जाएगा, अगर कोई ग्रामीण बाहर से गांव में प्रवेश करता है तो इसकी सूचना जिला प्रशासन को दी जाएगी और उसे गांव के बाहर ही 14 दिनों तक क्वॉरेंटाइन किया जाएगा.

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