पश्चिम सिंहभूम: दिन प्रतिदिन मछलियों की बढ़ती खपत को देखते हुए मत्स्य पालन विभाग मछली उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए नई तकनीक को अपना रहा है. इसी कड़ी में पश्चिम सिंहभूम जिला मत्स्य कार्यालय चाईबासा में भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान रांची और एक्वा सॉल्यूशन कोलकाता से आए वैज्ञानिकों ने मत्स्य मित्रों को बायो फ्लॉक प्रणाली से मछली पालन करने का प्रशिक्षण दिया गया. जिस दौरान जिले के 18 प्रखंडों से मत्स्य मित्र एवं बेरोजगार युवा उपस्थित रहे और इसकी जानकारी ली.
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क्या है जिला मत्स्य पदाधिकारी का कहना
मीडिया से बातचीत के दौरान दौरान जिला मत्स्य पदाधिकारी जयंत रंजन ने बताया कि जिले के प्रत्येक मछुआरे या मत्स्य मित्र के पास तालाब नहीं हैं. इसके साथ ही झारखंड में पर्याप्त रूप से वर्षा नहीं होने के कारण मछली पालन में कई कठिनाइयों का सामना मत्स्य मित्रों को करना पड़ता है. जिसके मद्देनजर वैज्ञानिकों ने एक तकनीक बायोफ्लॉक प्रणाली बनाई है. जिससे कम पानी या बिना तालाब के भी किसी छोटे स्थल पर पर्याप्त मत्स्य पालन किया जा सकेगा, इस तकनीक की शुरुआत इजराइल से शुरू की गई थी, धीरे-धीरे ये पूरे विश्व में विकसित हो रही है. प्रशिक्षण प्राप्त करने के उपरांत मछुआरे और बेरोजगार युवा छोटे से क्षेत्र में भी उच्च उपज वाली संघन मछली की खेती कर सकेंगे.