बोकारो: कहा जाता है बच्चे ईश्वर का वरदान होते हैं, लेकिन जब इन बच्चों से इनका बचपन छीन कर इनके हाथ में किताब, कॉपी और स्लेट की जगह भीख का कटोरा थमा दिया जाता है, तो यह शर्मनाक हो जाता है. देश के लिए समाज के लिए और उन मां-बाप के लिए जो बच्चे को जन्म तो देते हैं लेकिन उन्हें उनका बचपन नहीं दे पाते हैं. कुछ ऐसे ही बच्चे जिन्हें जन्म के बाद से ही भीख का कटोरा हाथ में थमा दिया गया था. लेकिन अब इनकी जिंदगी में जो बदलाव हुआ है वह इनके लिए सपने से कम नहीं है.
जिन हाथों में था 'भीख का कटोरा', अब उन बच्चों को मिला शिक्षा का 'मंदिर'
बोकारो में घुमंतू लोगों के बच्चे आम तौर पर स्कूल नहीं जाते थे. लेकिन अब वह स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. जिससे उनके इलाके के रहने वाले अन्य बच्चों को भी पढ़ने की ललक जगी है और इसके लिए डीसी और वहां के मुखिया उनके सहयोग में जुट गए है.
सड़क पर घूमने वाले बच्चे पहुंचे DAV स्कूल
गोमिया के गांधीग्राम में कुछ दिनों पहले तक लोग जिन बच्चों को देख लोग मुंह फेर लेते थे आज उन्हीं बच्चों की तारीफ कर रहे हैं. इन बच्चों का पेशा कभी भीख मांगना हुआ करता था. लेकिन आज इनके हाथों में स्कूल के बस्ते के साथ आगे बढ़ने का जज्बा है. इन बच्चों के हाथ अब किसी के आगे भीख के लिए नहीं बढ़ रहे हैं. बल्कि इनके कदम प्रतिष्ठित स्कूल की तरफ बढ़ रहे हैं, जो बच्चे कल तक दूसरों के सामने एक 2 रुपए के लिए गिड़गिड़ाते थे आज वह बच्चे पोयम सुना रहे हैं, जो इनके लिए गर्व की बात है. आज इनके मां-बाप इन्हें स्कूल जाता देख फूले नहीं समाते हैं. वहीं, स्कूल के शिक्षक और प्रिसिंपल भी इनकी बदलाव को देख कर काफी खुश हैं.
वहीं, डीसी कृपानंद झा का कहना है कि जो दूसरे बच्चे डीएवी और दूसरे प्राइवेट स्कूलों में पढ़ना चाहते हैं उन्हें भी राइट टू एजुकेशन के तहत ऐडमिशन दिलाया जाएगा.
Last Updated : Jul 18, 2019, 12:51 PM IST