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दो किलोमीटर की सड़क मानो 200 साल का अभिशाप! विकास की आस में गुजर गयीं पीढ़ियां - एक ऐसा गांव जहां आज तक आजदी के दशकों बाद भी नहीं बना पंहुच पथ

बोकारो में चंदनकियारी ब्लॉक के बांधघुटु गांव, जो बदहाली का अभिशाप झेल रहा है. आलम ऐसा है कि महज दो किलोमीटर की सड़क ना होने की वजह से ग्रामीण हर तरह की बुनियादी सुविधाओं से महरूम हैं.

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Published : Sep 12, 2021, 8:27 PM IST

Updated : Sep 12, 2021, 10:56 PM IST

बोकारोः जिला में चंदनकियारी प्रखंड के लाघला पंचायत के बांधघुटु आदिवासी बहुल गांव जहां की आबादी लगभग पांच सौ और वोटर ढाई सौ से ज्यादा हैं. इस गांव के लोग आजादी के दशकों बाद भी कभी सड़क नहीं देखा है. अगर कहा जाए कि गांव का रास्ता सरकारी नक्शे में नहीं है तो गलत नहीं होगा.

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बांधघुटु आदिवासी बहुल गांव की बदहाली आज की नहीं है, विकास की राह देखते-देखते कई पीढ़ियां गुजर गईं. लेकिन आज तक ना तो किसी जनप्रतिनिधि ने संजीदगी दिखाई और ना ही प्रसाशनिक पदाधिकारियों ने इसके लिए कोई पहल की. हर चुनाव के दौरान गांव की तस्वीर बदलने का दावा और वादा करके चले जाते हैं, दोबार यहां मुड़कर ना तो नुमाइंदे आते हैं और ना ही अधिकारी यहां कदम रखना पसंद करते हैं.

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ईटीवी भारत की टीम जब बांधघुटु गांव पहुंची तो ग्रामीणों ने अपनी गुहार हमारे माध्यम से शासन-प्रशासन तक पहुंचाने की कोशिश की. उन्होंने बताया कि सभी सरकार आदिवासियों के हितों की बात करते हैं. लेकिन इस आदिवासी गांव के कल्याण के लिए किसी ने नहीं सोची जबकि कई सीएम को पत्राचार कर चुके हैं. प्रखंड एवं अंचल कार्यालय में कई सालों से संज्ञान में दिया जा रहा है, पर आजतक कार्रवाई नहीं हुई.

जर्जर सड़क से ग्रामीण परेशान

सड़क ना होने की टीस हर किसी को है. इसको लेकर ग्रामीणों ने बताया कि जब किसी मरीज की तबीयत बिगड़ने पर गांव से मेन रोड तक उसे खटिया पर सुलाकर ले जाना पड़ता है. एंबुलेंस इस गांव का नाम सुनते ही अपने कदम खींच लेते हैं. गांव से लगभग 2 किलोमीटर मुख्य सड़क है, यही दो किलोमीटर आदिवासियों के लिए 200 साल का अभिशाप जैसा लग रहा है.

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गांव से बाहर निकलने का किसी तरह कोई सरकारी रास्ता नहीं है, मुख्य सड़क पर धीरे-धीरे काफी मकान बन जाने के कारण और कच्चा रास्ता भी बंद हो चुका है. गांव में अगर कोई बाइक से आ गया तो उसको निकालने के लिए कई लोगों की जरूरत पड़ती है. गांव के विद्यालय में बाहर से आने वाले शिक्षकों को खेत एवं तालाब होकर आना पड़ता है. लेकिन बारिश के तीन महीने तो शिक्षक भी नहीं आते.

सड़क नहीं है सिर्फ कीचड़ है

इस गांव के लोग ज्यादातर कच्चे मकानों में रहते हैं, गांव का विकास ना के बराबर हुआ है. आदिवासियों का सरकार एवं अधिकारियों पर गुस्सा होना जायज है. कई बार गांव के लोगों ने अपनी मांगों को लेकर आंदोलन भी किया, विरोध जताया, नारेबाजी भी की. लेकिन इनकी आवाज अब तक नहीं सुनी गई.

मरीज को खाट में ले जाते ग्रामीण

सड़क ना होने को लेकर ग्रामीणों का कहना है रास्ता नहीं रहने के कारण गांव के लड़के-लड़कियों की शादी नहीं हो रही है. रिश्ते की बात को लेकर कुटुंब जनों को गांव में रास्ता नहीं होने की जानकारी मिलती है तो वो उल्टे पांव वापस चले जाते हैं. इस वजह से गांव की कई लड़के-लड़कियों की शादी टल चुकी है.

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बांधघुटु गांव में सड़क ना होने के सवाल पर बीडीओ अजय वर्मा ने कहा कि वो अभी नये-नये ही आएं हैं. उन्होंने कहा कि मुझे भी आपके माध्यम से जानकारी मिली की एक ऐसा भी गांव है, जहां सड़क नहीं है. बीडीओ ने आश्वासन दिया कि वो सीओ, सीआई, जेई, पंचायत सेवक एवं अन्य कर्मियों के साथ गांव पहुंचकर सड़क की व्यवस्था समेत अन्य समस्याओं का भी समाधान करने की कोशिश करेंगे.

कीचड़ में फंसी बाइक

इस मामले को लेकर स्थानीय विधायक सह पूर्व मंत्री अमर बाउरी ने कहा कि हमारे पास भी आदिवासी गांव बांधघुटु की समस्या आयी थी, मैंने समाधान की कोशिश की, पर रैयती रास्ता होने के कारण वहां सरकारी रास्ता नहीं बन पा रहा है. उन्होंने भरोसा देते हुए कहा कि फिर भी वो अधिकारियों और ग्रामीणों के साथ बातचीत कर इसका समाधान निकालेंगे एवं आदिवासियों को रास्ता दिलाने की कोशिश करेंगे.

पूर्व मुखिया सत्य प्रमाणिक ने कहा हमारे कार्यकाल के समय गांव की काफी लोगों को राशन कार्ड इंदिरा आवास को लेकर काम किया गया. लेकिन यह समस्या बड़ी समस्या है, यह पंचायत लेवल की नहीं है फिर भी इसके बारे में कई बार हम प्रखंड एवं अंचल में लिख चुके हैं, पर आज तक इस आदिवासी गांव को रास्ता नहीं मिला है.

Last Updated : Sep 12, 2021, 10:56 PM IST

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