बोकारो: कहते हैं बीमारी किसी भी इंसान के हिम्मत को तोड़ देता है. अगर रोग किडनी का हो तो फिर जिंदगी की उम्मीद भी खत्म होने लगती है. लेकिन बोकारो के राधेश्याम मुंडा वैसे लोगों में शामिल हैं जो न सिर्फ अपने आत्मविश्वास से इस रोग को पटखनी दी बल्कि अब अपनी मेहनत से जमीन से सोना उपजा रहे हैं.
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बीमारी से नहीं मानी हार
बोकारो के सेक्टर 09 डी में रहने वाले राधेश्याम मुंडा 2016 में किडनी रोग से ग्रसित हो गए थे. बीमारी और कमजोरी की वजह से उन्हें बीएसएल की नौकरी छोड़नी पड़ी. काफी दिनों तक दवा के सहारे जिंदगी काटने वाले राधेश्याम अपनी जिंदगी को लेकर उम्मीद छोड़ दी थी. तभी उन्हें बैठे-बैठे कुछ नया करने का आइडिया आया जिससे उनकी जिंदगी में बहार आ गया.
पीएम मोदी से प्रभावित हैं राधेश्याम
किडनी बीमारी से ग्रसित राधेश्याम मुंडा को पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत योजना से काफी प्रेरणा मिली. पीएम की बातों से प्रभावित होकर राधेश्याम मुंडा ने साल 2019 में 2.5 एकड़ जमीन लीज पर लेकर कद्दू की खेती शुरू की. शुरूआती संघर्ष के बाद 2020 में उन्हें इससे 5 लाख का मुनाफा हुआ. पहले ही साल इतने बड़े मुनाफे से उत्साहित राधेश्याम मुंडा ने 15 एकड़ जमीन लीज पर लेकर खेती को बढ़ाया. धीरे-धीरे खेती ने इतनी रफ्तार पकड़ी की किसान ने इंजीनियर बेटा को नौकरी दी . अब इस काम में उनके दोनों बेटे हाथ बंटा रहे हैं.