रांची: झारखंड को बिहार से अलग हुए 18 साल हो गए. इस बीच में राज्य में 4 लोकसभा चुनाव हुए, लेकिन 2 ही बार ऐसा मौका आया जब झारखंड से कोई महिला लोकसभा तक पहुंची हैं. हाल तो ये है कि चुनाव में 90% महिला उम्मीदवारों के जमानत जब्त हो जाते हैं.
झारखंड में 14 लोकसभा सीट है, जिसमें 8 जनरल, 1- एससी और 5- एसटी सीट हैं. बात करें पिछले लोकसभा चुनाव 2014 की तो कुल 19 महिलाओं ने नॉमिनेशन फार्म भरा था. जिसमें जनरल सीट पर 10 महिलाओं ने और एसटी सीट पर 8 महिलाओं ने दावेदारी पेश की थी. इसमें चुनाव आयोग ने 1 उम्मीदवार का नॉमिनेशन रद्द कर दिया था. ये सीट एसटी खाते से था.2014 के लोकसभा चुनाव में 18 महिला प्रत्याशी चुनाव लड़ी थी. इसमें 17 महिला प्रत्याशियों के जमानत जब्त हो गई. वहीं खूंटी से दयामनी बारला ही एक ऐसी प्रत्याशी थी, जिनकी जमानत जब्त नहीं हुई.
ऐसा नहीं है कि झारखंड में महिला नेता नहीं है. राज्य के लिए कई महिला प्रत्याशी विधायक बनकर आईं. लेकिन वो केंद्र की राजनीति में दाखिल नहीं हो सकी. विधायक के तौर पर देखें तो कई महिला प्रत्याशी विधायक बनी हैं, लेकिन लोकसभा चुनाव में वे मात खा गई.अब तक झारखंड से आमचुनाव में लोकसभा एक ही उम्मीदवार पहुंची है, जिनमें सुशीला केरकेट्टा 2004 में कांग्रेस की टिकट पर खूंटी से लोकसभा चुनाव जीती थी. वहीं, सुमन महतो 2007 में हुए उपचुनाव में संसद जरूर गई लेकिन अगले चुनाव में हार गई.
दरअसल, झारखंड में 2014 में महिला वोटरों की संख्या 6122832 थी, जिनमें से 47.15 फीसदी महिलाओं ने वोटिंग किया था. फिर भी एक भी उम्मीदवार नहीं जीती. वहीं, झारखंड में पुरुष और महिला अनुपात की बात करें तो 951: 898 है. फिर केंद्र की राजनीति में झारखंड से अब महिलाओं की भागीदारी नहीं है.जबकि राष्ट्रीय स्तर की बात करें तो 2009 की तुलना में 2014 में लोकसभा में महिला सांसदों की संख्या बढ़ी थी. 2009 में 58 सांसद थीं तो 2014 में कुल 61 सांसद जीतकर संसद पहुंची थीं.
इस बार झारखंड में 5वीं बार लोकसभा चुनाव होने जा रहा है. चुनाव आयोग तारीख की घोषणा कर दी है. अब देखना है कि इस लोकसभा चुनाव में झारखंड को पहली महिला सांसद मिलती है या नहीं. इस लोकसभा चुनाव में महिला उम्मीदवार की बात करें तो कांग्रेस से गीता कोड़ा को सिंहभूम सीट से लड़ाने की संभावना है. वहीं दयामनी बारला भी फिर से एक बार मैदान में उतरेंगी.