रांची: झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है. यह परंपरा करीब 1300 साल पुराना है. यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी, तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है.
यहां होलिका दहन की खास है मान्यता, 1300 सालों से चली आ रही है परंपरा
झारखंड में सबसे पहले होलिका दहन राजधानी रांची के चुटिया में होती है. यह परंपरा करीब 1300 साल पुराना है. यहां नागवंशी राजाओं का शासन था और चुटिया छोटानागपुर की राजधानी हुआ करती थी, तब से यहां पर होलिका दहन की जाती रही है.
एक जमाने में मान्यता थी कि किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत राजधानी से होना चाहिए, इसलिए यह परंपरा शुरू की गई थी. साल1685 में यहां राम मंदिर का भी निर्माण करवाया गया.होलिका दहन के साथ ही नए साल का आगमन मान लिया जाता है. इसलिए राजधानी रांची की चुटिया इलाके में एक दिन पहले ही होलिका दहन की जाती है. लोग अपने मन के अंदर के पाप को इस होलिका दहन में जलाकर भस्म करते हैं. होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक माना जाता है.
चुटिया के प्राचीन श्री राम मंदिर में ऐतिहासिक होलिका दहन वर्षों से चला आ रहा है. होलिका दहन के इस कार्यक्रम में भारी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. होलिका को दहन होते देखने पद्म श्री मुकुंद नायक के अलावा कई गणमान्य लोग मौजूद रहे.