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गिरिडीह में 'गुजरात मॉडल' के तहत होगा विकास, मोदी लहर ने चंद्र प्रकाश चौधरी को दिलाई जीत - आजसू

चंद्र प्रकाश चौधरी रामगढ़ से लगातार तीन बार से विधायक रहे हैं और उनके रामगढ़ के विकास की चर्चा पूरे राज्य में होती है. गिरिडीह लोकसभा सीट पर जीत के बाद अब दिल्ली की राजनीति में भी आजसू पार्टी पहुंच गई है.

जीत के बाद जश्न मनाते एनडीए कार्यकर्ता

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Published : May 24, 2019, 9:23 PM IST

बोकारो: गिरिडीह लोकसभा सीट पर जीत के बाद अब दिल्ली की राजनीति में भी आजसू पार्टी पहुंच गई है. झारखंड की राजनीति में लंबे समय तक बीजेपी के साथ रहने वाले सुदेश महतो के आजसू के प्रतिनिधि अब संसद में बीजेपी के साथ बैठेगी.


झारखंड की 14 सीटों में से बीजेपी ने 1 सीट आजसू को दिया था. वह भी अपने पिछले पांच बार के सांसद रहे रविंद्र पांडे का टिकट काटकर, जिसके बाद राजनीतिक जानकार इसे बीजेपी का आत्मघाती कदम बता रहे थे, लेकिन आजसू के चन्द्र प्रकाश चौधरी ने यहां 2,48,000 से ज्यादा मतों से जीत दर्ज की, जबकि प्रचंड मोदी लहर के बावजूद पिछली बार रविंद्र पांडे महज 43 हजार वोटों से ही चुनाव जीत पाए थे.


चन्द्र प्रकाश चौधरी सूबे के पेयजल मंत्री जब रामगढ़ से गिरिडीह चुनाव लड़ने आए तो किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि उन्हें इतनी आसानी से और इतनी बड़ी जीत मिलेगी.

चंद्र प्रकाश चौधरी, नवनिर्वाचित गिरीडिह सांसद


मोदी लहर नहीं ब्लकि मोदी सुनामी
देश में इस बार एनडीए ने 350 से ज्यादा सीटों पर जीत दर्ज की, जो यह बताती है कि देश में मोदी लहर नहीं ब्लकि मोदी सुनामी चल रहा है और सुनामी का फायदा चन्द्र प्रकाश चौधरी को भी मिला, लेकिन एक बड़ा सवाल यह भी है कि जब पिछले चुनाव में मोदी लहर था, उसके बावजूद रविंद्र पांडे महज 43,000 वोटों से ही क्यों जीते, तो क्या इस बार की जीत चंद्र प्रकाश चौधरी की अपनी जीत थी? इस पर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि यह मोदी लहर और चन्द्र प्रकाश चौधरी की मिली जुली जीत है.


वहीं, एक और जहां मोदी लहर था तो गिरिडीह में एक नया चेहरा सामने आया था. जिससे लोगों की उम्मीदें और अपेक्षाएं थी. जबकि पिछली बार रविंद्र पांडे पर 20 साल से ज्यादा का एंटी इनकंबेंसी भी काम कर रहा था.


बाहरी भीतरी का मुद्दा
जेएमएम की हार की एक वजह बाहरी और भीतरी का मुद्दा भी बना. झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने गिरिडीह के प्रत्याशी जगन्नाथ महतो पर लगातार बाहरी भीतरी का मुद्दा उठाते रहे. इस बार तो पड़ोसी जिले रामगढ़ से आए चंद्र प्रकाश चौधरी को भी जेएमएम ने बाहरी करार दे दिया है. जिससे यहां के बाहरी मतदाता, जैसे गिरिडीह में औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम कर रहे हैं, उनके अंदर एक सवाल आया कि जब पड़ोसी जिले रामगढ़ के प्रत्याशी को जेएमएम बाहरी करार दे रहा है तो जीतने के बाद जो दूसरे राज्यों के लोग हैं, उनके साथ उनका व्यवहार कैसा होगा?


रामगढ़ विकास मॉडल
चंद्र प्रकाश चौधरी रामगढ़ से लगातार तीन बार से विधायक रहे हैं और उनके रामगढ़ के विकास की चर्चा पूरे राज्य में होती है. कभी एक छोटा सा कस्बा रामगढ़ को जिला बनवाने और वहां विकास तक आयाम को पहुंचाने में उनका बड़ा योगदान रहा है. आजसू ने यहां गुजरात मॉडल की तर्ज पर रामगढ़ मॉडल का जमकर प्रचार किया. जिसके बाद चंद्र प्रकाश चौधरी एक विकास पुरुष के रूप में स्थापित हो गए और इसका फायदा उन्हें खूब मिला.


एक ओर जहां जेएमएम चुनाव के 1 महीने पहले तक अपने प्रत्याशी भी घोषित नहीं कर पाया था. वहीं, फरवरी के अंतिम महीने से ही चंद्र प्रकाश चौधरी क्षेत्र में डट गए थे. जेएमएम जब तक अपने उम्मीदवार घोषित कर पाया, तब तक चंद्र प्रकाश चौधरी गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र के एक-एक गांव घूम चुके थे और अपनी मौजूदगी दर्ज करा चुके थे.


चंद्र प्रकाश चौधरी मीडिया में भी लगातार बने रहे. इसके उलट जगन्नाथ महतो का प्रचार तंत्र बहुत कमजोर था. गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र में एनडीए के बड़े नेताओं ने चुनाव प्रचार किया. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गिरिडीह पहुंचे तो महागठबंधन के बड़े नेताओं का साथ जगन्नाथ महतो को नहीं मिला.


लोगों की समस्याओं का हुआ हल, मिली सुविधाएं
गिरिडीह लोकसभा क्षेत्र जहां नक्सल समस्या बड़ी समस्या थी. एक जमाने में यहां लोग वोट देने से डरते थे, उन गांवों में सरकार की विकास योजनाएं पहुंची. जहां आजादी के 70 साल बाद भी बिजली तक नहीं पहुंच पाई थी. वहां, बिजली पहुंची. प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ मिला. उज्जवला योजना, शौचालय योजना उन सभी योजनाओं की जमीन पर पहुंचने का लाभ चन्द्र प्रकाश चौधरी को मिला. वहीं, इसके उलट झारखंड मुक्ति मोर्चा लगातार मोदी विरोधी प्रचार में लगी रही और लोगों की समस्याओं का निदान कैसे करेंगे, इस पर कोई चर्चा नहीं हुई.

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