हिम संवाद को करवा रहे सेवा इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय संयोजक श्याम परांडे. सोलन:हिमालय क्षेत्रों के विकास को लेकर नौणी विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय हिम संवाद कार्यक्रम का सफल समापन हो गया है. ऐसे में ईटीवी भारत ने इस हिम संवाद को करवा रहे सेवा इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय संयोजक श्याम परांडे से विशेष बातचीत की और जाना कि आखिर इस हिम संवाद का उद्देश्य क्या है.
श्याम परांडे का कहना है कि यदि हिमालय क्षेत्रों का विकास करना है तो प्रकृति की चिंता करनी चाहिए स्थानीय युवक-युवतियों को आपदा के प्रति जागरूक करना होगा, ताकि यदि कभी भी कोई आपदा आए तो उसे सबसे पहले लोग अपने स्तर पर निपट सकें, क्योंकि वे लोग जानते हैं कि किस तरह से वहां पर स्थानीय रिसोर्स मौजूद रहते हैं.
श्याम परांडे से ईटीवी भारत की खास बातचीत. श्याम परांडे ने बताया कि लगातार लोगों को जागरूक करने के लिए गांव-गांव में जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजन कर रहे हैं. लोगों को इस बारे में जागरूक किया जाता है कि स्थानीय रिसोर्स का उपयोग करें और जो पारम्परिक जड़ी बूटियां हैं उनका ध्यान रखें. (Him Samvad program in Solan) (him samvad program at Nauni University)
श्याम परांडे का कहना है कि आज के दौर में देखने को मिल रहा है कि आधुनिकता की दौड़ में केमिकल का प्रयोग किया जा रहा है और जमीन खराब हो रही है, लेकिन हमें जंगल जीव जंतु को बचाकर रखना होगा, ताकि आपदाओं से निपटा जा सके और संवाद का उद्देश्य यही है कि कैसे इन सबकी चिंता की जाए और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के साथ साथ आपदाओं से निपटने के लिए जागरूक किया जाए.
हिम संवाद को करवा रहे सेवा इंटरनेशनल के अंतरराष्ट्रीय संयोजक श्याम परांडे. श्याम परांडे ने कहा कि सरकार अपने स्तर पर आपदाओं से निपटने को लेकर कार्य करती है, लेकिन जब तक नीति आयोग समाज से नहीं जुड़ेगा तब तक विकास नहीं होगा. नीति आयोग को चाहिए कि वे जमीनी स्तर से जुड़े लोगों से ऊपर तक समान विकास करें ताकि हर उस ग्रामीण को जागरूक किया जा सके जो आपदाओं से निपटने में एक अहम रोल निभा सकता है. (Exclusive interview of Shyam Parande)
उन्होंने कहा कि पार्टी पॉलिटिक्स से ऊपर उठकर विकास की ओर ध्यान देना चाहिए था ने रिसोर्ट को कैसे जीवित रखा जाए इसके बारे में भी जागरूकता लानी चाहिए. हिमालय क्षेत्रों में आज सुविधाओं की कमी है. सरकारी स्ट्रक्चर में खामियां हैं ऐसे में मूलभूत सुविधाओं को सुधारना होगा. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य शिक्षा, परिवहन व्यवस्था, पानी, बिजली अगर यह सब होगी तो आजीविका के साधन भी लोगों को मिलेंगे यदि यह सब समाज में नहीं मिलेगा तो लोग पलायन ही करेंगे.
श्याम परांडे ने कहा कि आपदाओं से निपटने के लिए स्थानीय लोगों को जागरूक करना चाहिए और जो पारंपरिक स्किल है उन्हें डेवलेप करना चाहिए, ताकि रोजगार के साथ-साथ लोग इसको लेकर भी जागरूक हो सकें कि किस तरह से अपने संसाधनों को बचाकर हिमालय क्षेत्रों की रक्षा कर सकते हैं.
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