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सिरमौर में महिला ने 108 एंबुलेंस में दिया बच्चे को जन्म, Ambulance के कर्मियों ने निभाई अहम भूमिका

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Sep 5, 2023, 3:58 PM IST

सिरमौर के खोरडोवाला में एक बार फिर से 108 एंबुलेंस सेवा एक बार फिर गर्भवती महिला के लिए वरदान साबित हुई है. एंबुलेंस के माध्यम से जब महिला को अस्पताल लाया जा रहा था तभी बीच रास्ते में ही महिला को प्रसव पीड़ा तेज हो गई. ऐसे में एंबुलेंस में तैनात कर्मियों ने एंबुलेंस में ही महिला की सफल डिलीवरी करवाई. पढ़ें पूरी खबर.. (Successful Delivery of woman in 108 ambulance in Sirmaur) (Delivery in 108 Ambulance)

Delivery of woman in 108 ambulance in Sirmaur
सिरमौर में 108 एम्बुलेंस में महिला की सफल डिलीवरी

सिरमौर:हिमाचल प्रदेश में 108 नंबर एंबुलेंस आपात सेवा मरीजों के लिए वरदान साबित हो रही है. दरअसल, खोरडोवाला में एक महिला ने एंबुलेंस के भीतर ही स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया है और 108 नंबर एंबुलेंस के कर्मियों ने भी अपनी अहम भूमिका निभाई है. एंबुलेंस में ही सुरक्षित प्रसव करा जच्चा-बच्चा की जान बचाई. इसके बाद दोनों जच्चा-बच्चा को पांवटा अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां दोनों स्वस्थ हैं.

जानकारी मुताबिक मानपुर देवड़ा की एक 22 वर्षीय महिला को देर रात प्रसव पीड़ा हुई. परिजनों ने फोन से इसकी सूचना आशा कार्यकर्ता को दी. आशा कार्यकर्ता ने एंबुलेंस को सूचित किया. वहीं, सूचना के तुरंत बाद एंबुलेंस आ गई. उसमें इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) वीरेंद्र परमार और पायलट सुनील शर्मा तैनात थे. इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन (ईएमटी) वीरेंद्र परमार ने बताया कि एंबुलेंस के महिला अस्पताल पहुंचने से पहले ही खोरडोवाला के पास गर्भवती की प्रसव पीड़ा बढ़ गई. गर्भवती की स्थिति बिगड़ने लगी तो ईएमटी ने एंबुलेंस को रोककर और पायलट सुनील शर्मा की मदद से सुरक्षित प्रसव कराया. वहीं, महिला के पति ने बताया कि ने बताया कि एंबुलेंस टीम की मदद और सूझबूझ से सुरक्षित प्रसव संभव हो पाया. फिलहाल जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ हैं.

10 महिलाओं का हुआ सुरक्षित प्रसव:एंबुलेंस सेवा में लगे लोगों ने बताया कि 2 साल में 15 महिलाओं का सुरक्षित प्रसव ईएमटी,और पायलट ने सूझबूझ का परिचय देते हुए एंबुलेंस में कराया है. सभी जच्चा-बच्चा स्वस्थ हैं. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस में ड्यूटी करने वाले ईएमटी को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है. उन्हें सिखाया जाता है कि विषम परिस्थितियों का सामना वह कैसे करें तथा ऐसी परिस्थितियों से डरे नहीं बल्कि विश्वास के साथ उनका सामना करें ताकि मरीज की पूरी मदद कर पाएं.

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