सिरमौर:एक तरफ प्रदेश सरकार डबल लेन, फोर लेन सड़कों की बातें कर रही है. दूसरी तरफ प्रदेश में मौजूद सड़कें अपनी हालत पर रो रही हैं. सिरमौर की सड़कों का हाल भी कुछ ऐसा ही है. सड़कों की हालत ऐसी है कि सड़क को सड़क कहने का मन नहीं करता.
खराब सड़कों ने खोली दावों की पोल
नगर परिषद द्वारा 4 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. इसमें से वार्ड नंबर 6, 12, 5 में टाइल बिछाने का कार्य पूरा हो चुका है. नेशनल हाईवे के लिए 1,352 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है. पांवटा से शिलाई-गुमा के लिए 100 करोड़ से अधिक की लागत से सड़कें तैयार की जा रही हैं. हालांकि जरा सी बारिश हो जाए तो सड़कों पर चिकनी मिट्टी पर दो पहिया वाहन चलाना मुश्किल हो जाता है. सड़क में जलभराव की समस्या उत्पन्न हो जाती है. धूप निकले तो धूल मिट्टी लोगों के लिए बड़ी परेशानी का सबब बन जाती है. ऐसे में जनता जनार्दन सड़कों की हालत से परेशान है.
पैदल चलने वाले लोग भी हैं परेशान
नगर परिषद, पीडब्ल्यूडी, राष्ट्रीय राज्य मार्ग की सड़कें बदहाली के आंसू बहा रही हैं. सड़के कम गड्ढे ज्यादा हैं. आए दिन यहां पर एक्सीडेंट में लोग जान गवा रहे हैं. इसके बावजूद भी शासन-प्रशासन कोई बड़ी तरकीब ढूंढने को तैयार नहीं. सड़कों की दशा देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि क्षेत्र में विकास की क्या तस्वीर होगी. सड़कों को किसी भी क्षेत्र की लाइफ लाइन कहा जाता है. जिस क्षेत्र की लाइफ लाइन की दशा इतनी दयनीय होगी वहां की लाइफ कैसी होगी, यह सड़कें देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है. सड़कों की ऐसी दुर्दशा है कि इन सड़कों पर वाहन चलाना तो दुश्वार है ही, पैदल चलना भी खतरे से खाली नहीं है.