नाहन:पांवटा साहिब-कालाअंब नेशनल हाईवे-7 पर पौड़ीवाला प्राचीन शिव मंदिर में मान्यताओं के अनुसार यहां भोलेनाथ का चमत्कार देखने को मिलता है. सालभर यहां भक्तों का आवागमन होता है, लेकिन महाशिवरात्रि और श्रावण माह में यहां भक्तों का तांता लगा रहता है. हालांकि इस बार कोरोना की वजह से श्रावण माह में भक्तों की संख्या काफी कम है.
कहा यह भी जाता है कि शक्तिशाली होने के बावजूद लंकापति रावण अमरता चाहता था. घोर तपस्या के बाद भगवान शिव ने उसे अमर होने का राज बताया. इसके बाद रावण ने यहां चमत्कारी सीढ़ी बना दी. मगर फिर भी उसका सपना पूरा नहीं हो पाया. इस मंदिर का इतिहास पांवटा-कालाअंब नेशनल हाईवे के किनारे मंदिर को जाने वाले रास्ते पर लगे बोर्ड पर भी दर्शाया गया है, ताकि यहां आने वाले लोगों को इसकी ऐतिहासिकता का पता चल सके.
क्या है कहानी?
जनश्रुति के अनुसार हिमाचल के नाहन से करीब 5 किलोमीटर दूर पौड़ीवाला शिव मंदिर का इतिहास लंकापति रावण के साथ जोड़ा जाता है. कहा जाता है कि रावण ने अमरता प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. कहते हैं कि ये कहानी उस समय की है, जब श्रीराम अयोध्या के राजा बनने वाले थे.
उसी दौरान रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहां शिवलिंग की स्थापना की. रावण की घोर तपस्या से प्रसन्न होकर शिव शंकर भगवान प्रकट हुए और रावण से वरदान मांगने को कहा. रावण ने अमरता का वरदान मांगा तो भगवान शिव ने उसे अमर होने की तरकीब बताई. ये तरकीब आसान नहीं थी. भगवान शिव ने कहा था कि रावण को एक ही दिन में पांच चमत्कारी सीढ़ियां बनानी होंगी. इसके बाद उसे अमरता और स्वर्ग में जाने का रास्ता मिल जाएगा,