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राजधानी की जलापूर्ति योजना गूगल मैप ड्रोन से तैयार, जल संकट से निपटने के लिए नवीन प्रयोग

सरकार द्वारा पहली बार शिमला में नवीन प्रयोग किया गया है. शहरवासियों को तत्कालीन जल संकट से निजात दिलाने और भविष्य की योजना तैयार करने के लिए तीन चरणों में प्रयास शुरू हुए.

शिमला के लिए जलापूर्ति योजना

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Published : May 27, 2019, 6:11 AM IST

शिमला: राजधानी शिमला में शहर की जलापूर्ति योजना का गूगल मैप ड्रोन की मदद से तैयार किया गया है और इसे जीआईएस में परिवर्तित किया गया है. योजनाओं को चिन्हित कर इनके सवंर्धन का कार्य भी किया गया है.

राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आज शिमला शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी घर-घर पहुंच रहा है. शिमला शहर में प्रतिदिन 47 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और सप्ताह के अंत में 55 एमएलडी पानी, जिसकी सुचारु आपूर्ति की जा रही है. बीते साल शिमला शहर में प्रतिदिन 18.19 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी, जबकि अब राज्य सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रतिदिन 50 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है.

बिछाई गई पानी की पाइप लाइन

राष्ट्रीय मानकों के अनुसार 10 हजार की जनसंख्या के लिए पानी की जांच का महीने में एक बार नमूना लिया जाता है, लेकिन शिमला में प्रतिदिन 20 विभिन्न स्थानों से नमूने एकत्र कर उनकी जांच की जाती है. भण्डारण टैंकों की सुरक्षा और सफाई के लिए भी सभी मापदंडों को अपनाया जा रहा है. साल में दो बार टैंकों की सफाई की जा रही है. टैंकों की तालाबंदी का भी खासा ख्याल रखा जा रहा है. नए पानी के कनेक्शन देने पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. शहर में 1489 नए पानी के कनेक्शन दिए गए हैं.

गुम्मा से पहले मिलता था 22 एमएलडी पानी, अब मिल रहा 27 एमएलडी
साल 1921 में गुम्मा परियोजना का शुभारंभ 22 एमएलडी जलापूर्ति की क्षमता के साथ किया गया था. अब यहां से प्रतिदिन 27 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है. यहां आठ पंप बदल कर नए लगाए गए हैं. साथ ही 1.50 करोड़ रुपये की लागत से नई वॉटर ट्रीटमेंट टैक्नोलॉजी भी शुरू की गई है. इलैक्ट्रिक पैनल और ट्रांसफॉर्मर भी बदले गए है. पुराने पंपों को बदलने से बिजली की खपत में 6 प्रतिशत तक कमी आई है.

शिमला के लिए जलापूर्ति योजना

सभी परियोजाओं में बदली गई पाईप लाइन
गिरी परियोजना में 8 करोड़ रुपये की लागत से 5500 मीटर पाईप लाइन बदली गई है. गिरी परियोजना में सैंज खड्ड से पानी लिया जाता है. यहां से प्रतिदिन 20.21 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती थी. अश्वनी खड्ड की जलापूर्ति प्रणाली को कोटी, बराडी, बीन नाला में सुधारा गया है. 4.6 किलोमीटर की लंबाई में 5 करोड़ रुपये की लागत से इसे ऊंचा किया गया है.

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अश्वनी खड्ड योजना से जलापूर्ति नहीं की जा रही है, लेकिन पंपिंग के खर्च को कम करने की दृष्टि से यहां केवल पंपिंग सिस्टम का इस्तेमाल किया जा रहा है. चुरूट परियोजना से प्रतिदिन 4.4 एमएलडी और चेड जलापूर्ति से प्रतिदिन 2.5 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है. 69 करोड़ रुपये की चाबा उठाऊ जलापूर्ति संवर्धन योजना का कार्य युद्धस्तर पर किया गया और चाबा से पानी उठाकर गुम्मा तक पहुंचाने का कार्य केवल 142 दिन के रिकॉर्ड समय में पूरा किया गया है.

शिमला के लिए जलापूर्ति योजना

2.10 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई नई पाइप लाइन
जलापूर्ति के दौरान पानी की क्षति को रोकने के लिए क्रेगनैनो से ढली तक 7.2 किलोमीटर क्षेत्र में 8.50 करोड रुपये की लागत से और संजौली से ढली 2.25 किलोमीटर लंबी नई पाईप लाइन 2.10 करोड़ रुपये की लागत से बिछाई गई है. गुम्मा पंपिंग स्टेशन व जाखू, ढिंगुधार, कामनादेवी और नॉर्थओक के पुराने पंप बदले गए है. 14 किलोमीटर लंबी पुरानी पाईपों को बदलकर नई पाईपें बिछाई गईं. इससे वितरण की हानि 5 प्रतिशत से अधिक कम करने में सफलता मिली. गुम्मा, गिरी व कोटी बरांडी में फिल्टरेशन प्रणाली को भी आधुनिक तकनीक के अनुरूप स्तरोन्नत किया गया है.

जल संरक्षण की दिशा में सात जल सखी ग्रुप
जल संरक्षण की दिशा में जल सखी नवीन रूप में उभरकर सामने आई हैं. अब तक सात जल सखी ग्रुप बनाए गए हैं. पानी के रिसाव, टंकियों के ओवर फ्लो, पानी के दुरुपयोग व अन्य जल संबंधी शिकायतें एसजेवीएनएल तक पहुंचाने में जल सखियां अहम भूमिका निभा रही हैं. इसके अतिरिक्त कोई भी व्यक्ति टोल फ्री नंबर 1916 पर अपनी शिकायत दर्ज कर समस्या का समाधान पा सकता है. संजौली और रिज पर दो शिकायत कक्ष भी बनाए गए हैं, जो सप्ताह के सातों दिन 24 घंटे कार्य कर रहे हैं.

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