शिमला: राजधानी शिमला में शहर की जलापूर्ति योजना का गूगल मैप ड्रोन की मदद से तैयार किया गया है और इसे जीआईएस में परिवर्तित किया गया है. योजनाओं को चिन्हित कर इनके सवंर्धन का कार्य भी किया गया है.
राष्ट्रीय मानकों के अनुसार आज शिमला शहर में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति के हिसाब से पानी घर-घर पहुंच रहा है. शिमला शहर में प्रतिदिन 47 एमएलडी पानी की आवश्यकता रहती है और सप्ताह के अंत में 55 एमएलडी पानी, जिसकी सुचारु आपूर्ति की जा रही है. बीते साल शिमला शहर में प्रतिदिन 18.19 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही थी, जबकि अब राज्य सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप प्रतिदिन 50 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है.
राष्ट्रीय मानकों के अनुसार 10 हजार की जनसंख्या के लिए पानी की जांच का महीने में एक बार नमूना लिया जाता है, लेकिन शिमला में प्रतिदिन 20 विभिन्न स्थानों से नमूने एकत्र कर उनकी जांच की जाती है. भण्डारण टैंकों की सुरक्षा और सफाई के लिए भी सभी मापदंडों को अपनाया जा रहा है. साल में दो बार टैंकों की सफाई की जा रही है. टैंकों की तालाबंदी का भी खासा ख्याल रखा जा रहा है. नए पानी के कनेक्शन देने पर किसी भी तरह की रोक नहीं लगाई गई है. शहर में 1489 नए पानी के कनेक्शन दिए गए हैं.
गुम्मा से पहले मिलता था 22 एमएलडी पानी, अब मिल रहा 27 एमएलडी
साल 1921 में गुम्मा परियोजना का शुभारंभ 22 एमएलडी जलापूर्ति की क्षमता के साथ किया गया था. अब यहां से प्रतिदिन 27 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जा रही है. यहां आठ पंप बदल कर नए लगाए गए हैं. साथ ही 1.50 करोड़ रुपये की लागत से नई वॉटर ट्रीटमेंट टैक्नोलॉजी भी शुरू की गई है. इलैक्ट्रिक पैनल और ट्रांसफॉर्मर भी बदले गए है. पुराने पंपों को बदलने से बिजली की खपत में 6 प्रतिशत तक कमी आई है.
सभी परियोजाओं में बदली गई पाईप लाइन
गिरी परियोजना में 8 करोड़ रुपये की लागत से 5500 मीटर पाईप लाइन बदली गई है. गिरी परियोजना में सैंज खड्ड से पानी लिया जाता है. यहां से प्रतिदिन 20.21 एमएलडी पानी की आपूर्ति की जाती थी. अश्वनी खड्ड की जलापूर्ति प्रणाली को कोटी, बराडी, बीन नाला में सुधारा गया है. 4.6 किलोमीटर की लंबाई में 5 करोड़ रुपये की लागत से इसे ऊंचा किया गया है.