शिमलाः देश प्रेम हो और देश के लिए कुछ कर गुजरने की तम्मना हो तो किसी भी उम्र में कहीं भी देश सेवा की जा सकती है. यह सिद्ध कर दिखाया है आईजीएसमी में तैनात बतौर मुख्य सुरक्षा अधिकारी भीम सिंह गुलेरिया ने. भीम सिंह गुलेरिया भारतीय सेना से रिटायर्ड हैं और अब आईजीएमसी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
कैप्टन (रिटायर्ड) भीम सिंह ने जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का सामना कर उन्हें धूल चटाई है. यही नहीं उन्होंने ऑपरेशन ब्लू स्टार और करगिल युद्ध में भी अपना खून बहाया है.
सुनिए रिटायर्ड कैप्टन भीम सिंह की कहानी उनकी जुबानी. भीम सिंह गुलेरिया मंडी जिला के रहने वाले हैं. भीम सिंह ने 1978 में सेना ज्वाइन की. 1984 में पंजाब में ऑपरेशन ब्लू स्टार में ड्यूटी की इसके अलावा उन्होंने 1989 में जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ विशेष अभियान 'काउंटर इन सरजी' में तैनात रहे और आतंकवाद से लड़ते रहे.
इसी दौरान आतंकवादियों से लड़ते हुए उन्हें दुश्मन की गोली लगी. किस्मत अच्छी थी की उनको टांग में गोली लगी. 1999 में करगिल युद्ध में भी भीम सिंह ने अपनी ड्यूटी दी और दुश्मनों के छक्के छुड़ाए.
कैप्टन भीम सिंह की बहादुरी देख कर सेना ने उन्हें 2005 से 2007 तक पूंछ और किश्तवाड़ जिला में तैनात किया. इस दौरान भी भीम सिंह उग्रवाद का सामना करते रहे. भीम सिंह और उनकी टीम ने 31 आतंकवादी मार गिराए.
कैप्टन भीम सिंह को उनकी बहादुरी के लिए सेना ने उन्हें 2 बार मेडल से भी सम्मानित किया. भीम सिंह 2011 में सेना से सेवानिवृत हुए. 2014 में उन्हें आईजीएमसी में चीफ सिक्योरिटी ऑफिसर तैनात किया गया.
भीम सिंह ने सेवा का जिम्मा आईजीएमसी में भी नहीं छोड़ा है. यहां भी हर जरूरतमंद मरीज की हर संभव सहायता करते हैं. भीम सिंह ने कई गरीब मरीजों का अपनी जेब से इलाज करवाया है ये कह कर कि ये भी मेरे देश के भाई है.
वहीं, अब केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर में अनुच्छेद-370 को हटाए जाने पर भीम सिंह ने खुशी जाहिर की है. भीम सिंह ने कहा सरकार के इस कदम से अकेले कश्मीर पर तीन राज्यों के बराबर होने वाले खर्च से बचा जाएगा. यहां हालात सुधरेंगे और लोगों को काफी लाभ मिलेगा.
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