शिमला: हिमाचल की आर्थिकी में सेब का बहुत बड़ा योगदान है. प्रदेश में हर साल करीब 4500 करोड़ रुपये का सेब का व्यापार होता है. प्रदेश की आर्थिकी की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले सेब पर इस साल ओलावृष्टि कहर बन कर टूट रही है. इस आसमानी आफत से बचने के लिए हिमाचल के सेब उत्पादकों ने अपने बगीचों में एंटी हेलनेट लगाए हैं.
ओलावृष्टि से निपटने के लिए सेब बागवानों के पास एंटी हेल नेट के अलावा कोई दूसरा विकल्प मौजूद नहीं है. इन दिनों सेब के पौधे हेलनेट से छावनी में तब्दील होते नजर आ रहे हैं. बागवानी विभाग के निदेशक मदन मोहन शर्मा का कहना है कि बागवानों की सुविधा का ख्याल रखते हुए प्रदेश सरकार ने हेल नेट का परमानेंट स्ट्रक्चर मुहैया करवाया है. जिससे बागवानों को बार-बार मशक्कत ना करनी पड़े.
विषम भौगोलिक संरचना के चलते सभी बागवानों के लिए एंटी हेल नेट को लगाना आसान नहीं है. सरकार एंटी हेल नेट लगाने के लिए बागवानों को 85 फीसदी तक की सब्सिडी दे रही है, लेकिन यह अनुदान बागवानों को नेट लगाने के बाद मिलता है, जिसके चलते हेल नेट की खरीद के लिए लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं.