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नवरात्रि के आखिरी दिन मां सिद्धिदात्री की होगी आराधना, जानें पूजा विधि - मां दुर्गा का नौवां स्वरूप

आज नवरात्रि का नौवां और अंतिम दिन है. ये दिन मां दुर्गा के स्वरूप मां सिद्धिदात्री को समर्पित है. आज माता को तिल का भोग लगाया जाता है. हिमाचल के नंदापर्वत पर मां का प्रसिद्ध तीर्थ है.

siddhidatri in worshiped on the last day of shardiya navratri
मां सिद्धिदात्री.

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Published : Oct 25, 2020, 8:23 AM IST

शिमला: नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की आराधना होती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मां के इस रूप की सच्चे मन से आराधना करने पर हर प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है. इस दिन देवी मां को तिल का भोग लगाया जाता है.

इस देवी की पूजा नौंवे दिन की जाती है. ये देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं. उपासक या भक्त के सभी कार्य इनकी कृपा से चुटकी में संभव हो जाते हैं. हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है.

अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं. इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना-आराधना करने से ये सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं.

सिद्धिदात्री का स्वरूप

इस देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बाईं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है. इसलिए इन्हें सिद्धिदात्री कहा जाता है. इनका वाहन सिंह है और ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. विधि-विधान से नौंवे दिन इस देवी की उपासना करने से सिद्धियां प्राप्त होती हैं. ये अंतिम देवी हैं.

मां सिद्धदात्री की पूजा का महत्व

आज महानवमी के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से भक्तों के भय, शोक और रोग नष्ट हो जाते हैं. उनको समस्त सिद्धियां प्राप्त होती हैं. माता रानी अपने भक्त से प्रसन्न होकर उसे मोक्ष भी प्रदान करती हैं.

कैसे करें पूजा

आज मां सिद्धिदात्री को तिल का भोग लगाएं, इससे माता रानी आपकी किसी भी अनहोनी से रक्षा करेंगी. महानवमी के दिन हवन और कन्या पूजन भी होता है, उसे स्वयं कर लें या फिर स्थगित कर दें.

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