शिमला: हिमाचल प्रदेश सरकार के खजाने के लिए ये खबर प्राणवायु की तरह है.आर्थिक संकट झेल रहे हिमाचल प्रदेश सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक राहत भरी खबर आई है.अदालत ने हिमाचल सरकार को प्रदेश के 10 फॉरेस्ट डिवीजन में खैर के पेड़ काटने की अनुमति प्रदान कर दी है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस फैसले की जानकारी दी है. सरकारी वन भूमि पर मौजूद खैर के पेड़ अब प्रदेश के 10 फॉरेस्ट डिवीजन में काटे जा सकेंगे. खैर की लकड़ी बहुत महंगी बिकती है और इसके कई उत्पाद बनते हैं. ऐसे में हिमाचल प्रदेश के खजाने में इस फैसले से राजस्व बढ़ोतरी होगी.
उल्लेखनीय है कि खैर के पेड़ों के कटान से जुड़ा मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. हिमाचल सरकार चाहती थी कि उसे खैर कटान की अनुमति मिले. सरकारी वन भूमि पर खैर कटान की अनुमति के लिए हर बार सरकार सुप्रीम कोर्ट का रुख करती आई है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में मजबूती के साथ अपना पक्ष रखा था. हिमाचल सरकार के वन विभाग ने खैर के पेड़ों के कटान से संबंधित वर्किंग प्लान पहले से ही तैयार किया हुआ है.
हिमाचल में पहले से ही ऊना, हमीरपुर, बिलासपुर, नालागढ़, व कुटलैहड़ फॉरेस्ट डिविजन में खैर कटान के लिए वर्किंग प्लान तैयार है. यहां हर साल 16500 पेड़ काटे जाने हैं. इसके अलावा अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नाहन, पांवटा साहिब, धर्मशाला, नूरपुर व देहरा फॉरेस्ट डिवीजन के लिए भी वर्किंग प्लान तैयार किया जाएगा.