ठियोगःप्रदेश के बागवानों के सेब के लिए जो बर्फबारी संजीवनी का काम करती है. इस बार उसी ने बागवानों के जीवन में जहर घोल दिया. सेब के लिए संजीवनी का काम करने वाली बर्फ ने इस बार बागवानों को खून के आंसू रुला दिए. इस बार सर्दियों में दगा देने वाली बर्फबारी ने अपना कहर गर्मियों में इस कदर बरपाया की हर बागवान रोने को विवश है. पिछले हफ्ते लगातार मौसम खराब रहने के बाद 23 अप्रैल को तापमान में आई भारी गिरावट से प्रदेश के उपरी इलाको में जमकर बर्फबारी हुई. बगीचों में ओलावृष्टि से बचाने के लिय लगाई गई एंटी हेल नेट भी काम नही आई. यहां तक की इसके कारण सेब के पौधे जड़ से उखड़ गए या टूट गए.
एंटी हेल नेट भी नहीं आए काम
जिला शिमला में बर्फबारी और मोसम का सितम बागवानों पर इस कदर टूटा की कोई चैन की नींद नहीं सो पा रहा है. सेब के बगीचे पूरी तरह तबाह हो गए हैं. बर्फबारी ने एंटी हेल नेट तबाह कर दिए और जिन पौधों में अभी फूल खिल रहे थे उन सभी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा.
इन क्षेत्रों में हुआ भारी नुकसान
ठियोग, कोटखाई, नारकंडा, में बर्फबारी ने तबाही मचाई है. साल भर बगीचों में दिन रात काम करने वाले बागवानों का कहना है कि इतना नुकसान कभी नहीं हुआ और सरकार ने तो कभी ओलावृष्टि और बर्फबारी से हुए नुकसान का मुआवजा भी नहीं दिया.