शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal High Court) शिमला डवलपमेंट प्लान (Shimla Development Plan) से जुड़ी याचिका पर सुनवाई नहीं करेगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार प्लान से जुड़े मामले को हाई कोर्ट ने वहीं भेज दिया है. इस मामले में एनजीटी के आदेश को एक याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई थी. हिमाचल सरकार ने एनजीटी के उन आदेशों को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसके तहत एनजीटी ने शिमला डवलपमेंट प्लान-2041 को गैरकानूनी घोषित कर दिया था.
हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान व न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह की खंडपीठ को बताया गया था कि यही मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है. सर्वोच्च न्यायालय ने हाई कोर्ट में लंबित मामले को वापिस लेकर सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने के आदेश दिए हैं. प्रतिवादी योगेंद्र मोहन सेन गुप्ता की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की प्रति हाई कोर्ट को बताई गई थी. मामले के अनुसार नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने शिमला डवलपमेंट प्लान-2041 को गैरकानूनी ठहराया है.
ट्रिब्यूनल ने स्पष्ट किया है कि गैरकानूनी होने के कारण इस प्लान को अमल में नहीं लाया जा सकता. प्रतिवादी योगेंद्र मोहन ने एनजीटी में याचिका दायर कर डवलपमेंट प्लान प्रारूप 2041 को चुनौती दी थी. एनजीटी के समक्ष प्रार्थी का कहना था कि ये प्लान सतत विकास के सिद्धांत के खिलाफ है. यह प्लान न केवल पर्यावरण के लिए विनाशकारी है, बल्कि सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से भी सही नहीं है. प्रार्थी ने एनजीटी के समक्ष शिमला से जुड़ी एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट भी रखी थी.